बाइबल में पवित्र आत्मा की समीक्ष

भजन संहिता 85:6 क्या तू हम को फिर न जिलाएगा, कि तेरी प्रजा तुझ में आनन्द करे?

प्रस्तावना

पुराने नियम में कई उदाहरणों को दर्ज किया गया है जहाँ प्रभु की भक्ति, और आध्यात्मिक जीवन की गुणवत्ता को नवीनीकृत किया गया।

नए करार अभिलेख में कई बार ऐसा भी होता है जब ईश्वर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ आया और आध्यात्मिक जीवन गहरा हो गया।

आध्यात्मिक नवीकरण का ऐसा समय कई तरह की परिस्थितियों में हुआ, हालांकि कुछ सामान्य कारक आमतौर पर पाए जा सकते हैं। आध्यात्मिक जीवन के इस नए गुण के बारे में ईश्वर द्वारा उपयोग किए जाने वाले कई अलग-अलग कारण और साथ-साथ हैं।

“पुनरुद्धार बनाम जागृति” क्या है?

बाइबल में “पुनरुद्धार” का अर्थ है, ईश्वर के लोगों द्वारा ईश्वर के प्रति समर्पण या आध्यात्मिक संबंध में कोई उल्लेखनीय सुधार।

कुछ उदाहरणों में, यह एक प्रमुख व्यक्ति, जैसे याकूब की तरह परिवार या कबीले के मुखिया द्वारा ईश्वर की भक्ति को नए सिरे से लागू करने के लिए भी लागू हो सकता है।

जगाना

यह शब्द इन दिनों धर्मनिरपेक्ष समाज में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। नए युग के आंदोलन में भी। लेकिन हम इसे अलग तरह से समझते हैं।

उदाहरण: नीनवे के लोगों का पश्चाताप, योना के उपदेश के बाद, “जागृति” के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, और “पुनरुद्धार” के रूप में नहीं, क्योंकि यह उन लोगों के बीच हुआ,  जिनके पास बाइबल के भगवान के लिए कोई पिछली भक्ति नहीं थी।

पश्चिमी – ईसाई देशों के विपरीत, हम भारत में पवित्र आत्मा पुनरुत्थान के लिए चर्च के भीतर और हमारे देश में सामान्य रूप से पवित्र आत्मा जागृति चाहते हैं।

हमारी आत्मा के जागरण को “जन्म-पुन: अनुभव” माना जा सकता है।

इफिसियों 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया।

जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।)

और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।

यूहन्ना 6:63 आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।

कुलुस्सियों 2:13 और उस ने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों, और अपने शरीर की खतनारिहत दशा में मुर्दा थे, उसके साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया।

याकूब:

याकूब का पहला मुकाबला: बेथेल में सपना

उत्पत्ति 28:10 सो याकूब बेर्शेबा से निकल कर हारान की ओर चला।

11 और उसने किसी स्थान में पहुंच कर रात वहीं बिताने का विचार किया, क्योंकि सूर्य अस्त हो गया था; सो उसने उस स्थान के पत्थरों में से एक पत्थर ले अपना तकिया बना कर रखा, और उसी स्थान में सो गया।

12 तब उसने स्वप्न में क्या देखा, कि एक सीढ़ी पृथ्वी पर खड़ी है, और उसका सिरा स्वर्ग तक पहुंचा है: और परमेश्वर के दूत उस पर से चढ़ते उतरते हैं।

13 और यहोवा उसके ऊपर खड़ा हो कर कहता है, कि मैं यहोवा, तेरे दादा इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का भी परमेश्वर हूं: जिस भूमि पर तू पड़ा है, उसे मैं तुझ को और तेरे वंश को दूंगा।

14 और तेरा वंश भूमि की धूल के किनकों के समान बहुत होगा, और पच्छिम, पूरब, उत्तर, दक्खिन, चारों ओर फैलता जाएगा: और तेरे और तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे कुल आशीष पाएंगे।

15 और सुन, मैं तेरे संग रहूंगा, और जहां कहीं तू जाए वहां तेरी रक्षा करूंगा, और तुझे इस देश में लौटा ले आऊंगा: मैं अपने कहे हुए को जब तक पूरा न कर लूं तब तक तुझ को न छोडूंगा।

16 तब याकूब जाग उठा, और कहने लगा; निश्चय इस स्थान में यहोवा है; और मैं इस बात को न जानता था।

17 और भय खा कर उसने कहा, यह स्थान क्या ही भयानक है! यह तो परमेश्वर के भवन को छोड़ और कुछ नहीं हो सकता; वरन यह स्वर्ग का फाटक ही होगा।

18 भोर को याकूब तड़के उठा, और अपने तकिए का पत्थर ले कर उसका खम्भा खड़ा किया, और उसके सिरे पर तेल डाल दिया।

19 और उसने उस स्थान का नाम बेतेल रखा; पर उस नगर का नाम पहिले लूज था।

20 और याकूब ने यह मन्नत मानी, कि यदि परमेश्वर मेरे संग रहकर इस यात्रा में मेरी रक्षा करे, और मुझे खाने के लिये रोटी, और पहिनने के लिये कपड़ा दे,

21 और मैं अपने पिता के घर में कुशल क्षेम से लौट आऊं: तो यहोवा मेरा परमेश्वर ठहरेगा।

22 और यह पत्थर, जिसका मैं ने खम्भा खड़ा किया है, परमेश्वर का भवन ठहरेगा: और जो कुछ तू मुझे दे उसका दशमांश मैं अवश्य ही तुझे दिया करूंगा॥

दूसरी मुठभेड़: प्रभु के साथ याकूब कुश्ती

उत्पत्ति 32:22  उसी रात को वह उठा और अपनी दोनों स्त्रियों, और दोनों लौंडियों, और ग्यारहों लड़कों को संग ले कर घाट से यब्बोक नदी के पार उतर गया।

23 और उसने उन्हें उस नदी के पार उतार दिया वरन अपना सब कुछ पार उतार दिया।

24 और याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरूष आकर पह फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा।

25 जब उसने देखा, कि मैं याकूब पर प्रबल नहीं होता, तब उसकी जांघ की नस को छूआ; सो याकूब की जांघ की नस उससे मल्लयुद्ध करते ही करते चढ़ गई।

26 तब उसने कहा, मुझे जाने दे, क्योंकि भोर हुआ चाहता है; याकूब ने कहा जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूंगा।

27 और उसने याकूब से पूछा, तेरा नाम क्या है? उसने कहा याकूब।

28 उसने कहा तेरा नाम अब याकूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर से और मनुष्यों से भी युद्ध कर के प्रबल हुआ है।

29 याकूब ने कहा, मैं बिनती करता हूं, मुझे अपना नाम बता। उसने कहा, तू मेरा नाम क्यों पूछता है? तब उसने उसको वहीं आशीर्वाद दिया।

30 तब याकूब ने यह कह कर उस स्थान का नाम पनीएल रखा: कि परमेश्वर को आम्हने साम्हने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।

31 पनूएल के पास से चलते चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जांघ से लंगड़ाता था।

32 इस्राएली जो पशुओं की जांघ की जोड़ वाले जंघानस को आज के दिन तक नहीं खाते, इसका कारण यही है, कि उस पुरूष ने याकूब की जांघ की जोड़ में जंघानस को छूआ था॥

पुनरुद्धार: याकूब बेथेल में लौटा: वेदी का भवन

उत्पत्ति 35 : 1 तब परमेश्वर ने याकूब से कहा, यहां से कूच करके बेतेल को जा, और वहीं रह: और वहां ईश्वर के लिये वेदी बना, जिसने तुझे उस समय दर्शन दिया, जब तू अपने भाई ऐसाव के डर से भागा जाता था।

तब याकूब ने अपने घराने से, और उन सब से भी जो उसके संग थे, कहा, तुम्हारे बीच में जो पराए देवता हैं, उन्हें निकाल फेंको ; और अपने अपने को शुद्ध करो, और अपने वस्त्र बदल डालो;

और आओ, हम यहां से कूच करके बेतेल को जाएं; वहां मैं ईश्वर के लिये एक वेदी बनाऊंगा, जिसने संकट के दिन मेरी सुन ली, और जिस मार्ग से मैं चलता था, उस में मेरे संग रहा।

सो जितने पराए देवता उनके पास थे, और जितने कुण्डल उनके कानोंमें थे, उन सभों को उन्होंने याकूब को दिया; और उसने उन को उस सिन्दूर वृक्ष के नीचे, जो शकेम के पास है, गाड़ दिया।

तब उन्होंने कूच किया: और उनके चारों ओर के नगर निवासियों के मन में परमेश्वर की ओर से ऐसा भय समा गया, कि उन्होंने याकूब के पुत्रों का पीछा न किया।

सो याकूब उन सब समेत, जो उसके संग थे, कनान देश के लूज नगर को आया। वह नगर बेतेल भी कहलाता है।

वहां उसने एक वेदी बनाईं, और उस स्थान का नाम एलबेतेल रखा; क्योंकि जब वह अपने भाई के डर से भागा जाता था तब परमेश्वर उस पर वहीं प्रगट हुआ था।

और रिबका की दूध पिलानेहारी धाय दबोरा मर गई, और बेतेल के नीचे सिन्दूर वृक्ष के तले उसको मिट्टी दी गई, और उस सिन्दूर वृक्ष का नाम अल्लोनबक्कूत रखा गया॥

फिर याकूब के पद्दनराम से आने के पश्चात परमेश्वर ने दूसरी बार उसको दर्शन देकर आशीष दी।

10 और परमेश्वर ने उससे कहा, अब तक तो तेरा नाम याकूब रहा है; पर आगे को तेरा नाम याकूब न रहेगा, तू इस्राएल कहलाएगा:

नबी शमूएल के माध्यम से इसराइल में पुनः प्रवर्तन

1 शमूएल 7:1 तब किर्यत्यारीम के लोगों ने जा कर यहोवा के सन्दूक को उठाया, और अबीनादाब के घर में जो टीले पर बना था रखा, और यहोवा के सन्दूक की रक्षा करने के लिये अबीनादाब के पुत्र एलीआजार को पवित्र किया॥

किर्यत्यारीम में रहते रहते सन्दूक को बहुत दिन हुए, अर्थात बीस वर्ष बीत गए, और इस्राएल का सारा घराना विलाप करता हुआ यहोवा के पीछे चलने लगा।

तब शमूएल ने इस्राएल के सारे घराने से कहा, यदि तुम अपने पूर्ण मन से यहोवा की ओर फिरे हो, तो पराए देवताओं और अश्तोरेत देवियों को अपने बीच में से दूर करो, और यहोवा की ओर अपना मन लगाकर केवल उसी की उपासना करो, तब वह तुम्हें पलिश्तियों के हाथ से छुड़ाएगा।

तब इस्राएलियों ने बाल देवताओं और अशतोरेत देवियों को दूर किया, और केवल यहोवा ही की उपासना करने लगे॥

फिर शमूएल ने कहा, सब इस्राएलियों को मिस्पा में इकट्ठा करो, और मैं तुम्हारे लिये यहोवा से प्रार्थना करूंगा।

तब वे मिस्पा में इकट्ठे हुए, और जल भरके यहोवा के साम्हने उंडेल दिया, और उस दिन उपवास किया, और वहां कहने लगे, कि हम ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। और शमूएल ने मिस्पा में इस्राएलियों का न्याय किया।

जब पलिश्तियों ने सुना कि इस्राएली मिस्पा में इकट्ठे हुए हैं, तब उनके सरदारों ने इस्राएलियों पर चढ़ाई की। यह सुनकर इस्राएली पलिश्तियों से भयभीत हुए।

और इस्राएलियों ने शमूएल से कहा, हमारे लिये हमारे परमेश्वर यहोवा की दोहाई देना न छोड़, जिस से वह हम को पलिश्तियों के हाथ से बचाए।

तब शमूएल ने एक दूधपिउवा मेम्ना ले सर्वांग होमबलि करके यहोवा को चढ़ाया; और शमूएल ने इस्राएलियों के लिये यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने उसकी सुन ली।

10 और जिस समय शमूएल होमबलि हो चढ़ा रहा था उस समय पलिश्ती इस्राएलियों के संग युद्ध करने के लिये निकट आ गए, तब उसी दिन यहोवा ने पलिश्तियों के ऊपर बादल को बड़े कड़क के साथ गरजाकर उन्हें घबरा दिया; और वे इस्राएलियों से हार गए।

11 तब इस्राएली पुरूषों ने मिस्पा से निकलकर पलिश्तियों को खदेड़ा, और उन्हें बेतकर के नीचे तक मारते चले गए।

12 तब शमूएल ने एक पत्थर ले कर मिस्पा और शेन के बीच में खड़ा किया, और यह कहकर उसका नाम एबेनेज़ेर रखा, कि यहां तक यहोवा ने हमारी सहायता की है।

13 तब पलिश्ती दब गए, और इस्राएलियों के देश में फिर न आए, और शमूएल के जीवन भर यहोवा का हाथ पलिश्तियों के विरुद्ध बना रहा।

14 और एक्रोन और गत तक जितने नगर पलिश्तियों ने इस्राएलियों के हाथ से छीन लिए थे, वे फिर इस्राएलियों के वश में आ गए; और उनका देश भी इस्राएलियों ने पलिश्तियों के हाथ से छुड़ाया। और इस्राएलियों और एमोरियों के बीच भी सन्धि हो गई।

15 और शमूएल जीवन भर इस्राएलियों का न्याय करता रहा।

16 वह प्रति वर्ष बेतेल और गिलगाल और मिस्पा में घूम-घूमकर उन सब स्थानों में इस्राएलियों का न्याय करता था।

17 तब वह रामा में जहां उसका घर था लौट आया, और वहां भी इस्राएलियों का न्याय करता था, और वहां उसने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई॥

शमूएल- एक प्रार्थनाशील व्यक्ति

भजन संहिता 99:6  उसके याजकों में मूसा और हारून, और उसके प्रार्थना करने वालों में से शमूएल यहोवा को पुकारते थे, और वह उनकी सुन लेता था।

7 वह बादल के खम्भे में हो कर उन से बातें करता था; और वे उसकी चितौनियों और उसकी दी हुई विधियों पर चलते थे॥

हे हमारे परमेश्वर यहोवा तू उनकी सुन लेता था; तू उनके कामों का पलटा तो लेता था तौभी उनके लिये क्षमा करने वाला ईश्वर था।

9 हमारे परमेश्वर यहोवा को सराहो, और उसके पवित्र पर्वत पर दण्डवत करो; क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा पवित्र है!

माउंट कार्मेल पर नबी एलिजा के माध्यम से पुनः प्रवर्तन

1 राजा 18:17. एलिय्याह को देखते ही अहाब ने कहा, हे इस्राएल के सताने वाले क्या तू ही है?

18 उसने कहा, मैं ने इस्राएल को कष्ट नहीं दिया, परन्तु तू ही ने और तेरे पिता के घराने ने दिया है; क्योंकि तुम यहोवा की आज्ञाओं को टाल कर बाल देवताओं की उपासना करने लगे।

19 अब दूत भेज कर सारे इस्राएल को और बाल के साढ़े चार सौ नबियों और अशेरा के चार सौ नबियों को जो ईज़ेबेल की मेज पर खाते हैं, मेरे पास कर्म्मेल पर्वत पर इकट्ठा कर ले।

20 तब अहाब ने सारे इस्राएलियों को बुला भेजा और नबियों को कर्म्मेल पर्वत पर इकट्ठा किया।

21 और एलिय्याह सब लोगों के पास आकर कहने लगा, तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लो; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लो। लोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात न कही।

22 तब एलिय्याह ने लोगों से कहा, यहोवा के नबियों में से केवल मैं ही रह गया हूँ; और बाल के नबी साढ़े चार सौ मनुष्य हैं।

23 इसलिये दो बछड़े लाकर हमें दिए जाएं, और वे एक अपने लिये चुनकर उसे टुकड़े टुकड़े काट कर लकड़ी पर रख दें, और कुछ आग न लगाएं; और मैं दूसरे बछड़े को तैयार करके लकड़ी पर रखूंगा, और कुछ आग न लगाऊंगा।

24 तब तुम तो अपने दवता से प्रार्थना करना, और मैं यहोवा से प्रार्थना करूंगा, और जो आग गिराकर उत्तर दे वही परमेश्वर ठहरे। तब सब लोग बोल उठे, अच्छी बात।

25 और एलिय्याह ने बाल के नबियों से कहा, पहिले तुम एक बछड़ा चुनकर तैयार कर लो, क्योंकि तुम तो बहुत हो; तब अपने देवता से प्रार्थना करना, परन्तु आग न लगाना।

26 तब उन्होंने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था ले कर तैयार किया, और भोर से ले कर दोपहर तक वह यह कह कर बाल से प्रार्थना करते रहे, कि हे बाल हमारी सुन, हे बाल हमारी सुन! परन्तु न कोई शब्द और न कोई उत्तर देने वाला हुआ। तब वे अपनी बनाई हुई वेदी पर उछलने कूदने लगे।

27 दोपहर को एलिय्याह ने यह कहकर उनका ठट्ठा किया, कि ऊंचे शब्द से पुकारो, वह तो देवता है; वह तो ध्यान लगाए होगा, वा कहीं गया होगा वा यात्रा में होगा, वा हो सकता है कि सोता हो और उसे जगाना चाहिए।

28 और उन्होंने बड़े शब्द से पुकार पुकार के अपनी रीति के अनुसार छुरियों और बछिर्यों से अपने अपने को यहां तक घायल किया कि लोहू लुहान हो गए।

29 वे दोपहर भर ही क्या, वरन भेंट चढ़ाने के समय तक नबूवत करते रहे, परन्तु कोई शब्द सुन न पड़ा; और न तो किसी ने उत्तर दिया और न कान लगाया।

30 तब एलिय्याह ने सब लोगों से कहा, मेरे निकट आओ; और सब लोग उसके निकट आए। तब उसने यहोवा की वेदी की जो गिराई गई थी मरम्मत की।

31 फिर एलिय्याह ने याकूब के पुत्रों की गिनती के अनुसार जिसके पास यहोवा का यह वचन आया था,

32 कि तेरा नाम इस्राएल होगा, बारह पत्थर छांटे, और उन पत्थरों से यहोवा के नाम की एक वेदी बनाई; और उसके चारों ओर इतना बड़ा एक गड़हा खोद दिया, कि उस में दो सआ बीज समा सके।

33 तब उसने वेदी पर लकड़ी को सजाया, और बछड़े को टुकड़े टुकड़े काटकर लकड़ी पर धर दिया, और कहा, चार घड़े पानी भर के होमबलि, पशु और लकड़ी पर उण्डेल दो।

34 तब उसने कहा, दूसरी बार वैसा ही करो; तब लोगों ने दूसरी बार वैसा ही किया। फिर उसने कहा, तीसरी बार करो; तब लोगों ने तीसरी बार भी वैसा ही किया।

35 और जल वेदी के चारों ओर बह गया, और गड़हे को भी उसने जल से भर दिया।

36 फिर भेंट चढ़ाने के समय एलिय्याह नबी समीप जा कर कहने लगा, हे इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा! आज यह प्रगट कर कि इस्राएल में तू ही परमेश्वर है, और मैं तेरा दास हूँ, और मैं ने ये सब काम तुझ से वचन पाकर किए हैं।

37 हे यहावा! मेरी सुन, मेरी सुन, कि ये लोग जान लें कि हे यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तू ही उनका मन लौटा लेता है।

38 तब यहोवा की आग आकाश से प्रगट हुई और होमबलि को लकड़ी और पत्थरों और धूलि समेत भस्म कर दिया, और गड़हे में का जल भी सुखा दिया।

39 यह देख सब लोग मुंह के बल गिरकर बोल उठे, यहोवा ही परमेश्वर है, यहोवा ही परमेश्वर है;

40 एलिय्याह ने उन से कहा, बाल के नबियों को पकड़ लो, उन में से एक भी छूटने न पाए; तब उन्होंने उन को पकड़ लिया, और एलिय्याह ने उन्हें नीचे किशोन के नाले में ले जा कर मार डाला।

41 फिर एलिय्याह ने अहाब से कहा, उठ कर खा पी, क्योंकि भारी वर्षा की सनसनाहट सुन पडती है।

42 तब अहाब खाने पीने चला गया, और एलिय्याह कर्म्मेल की चोटी पर चढ़ गया, और भूमि पर गिर कर अपना मुंह घुटनों के बीच किया।

43 और उसने अपने सेवक से कहा, चढ़कर समुद्र की ओर दृष्टि कर देख, तब उसने चढ़ कर देखा और लौट कर कहा, कुछ नहीं दीखता। एलिय्याह ने कहा, फिर सात बार जा।

44 सातवीं बार उसने कहा, देख समुद्र में से मनुष्य का हाथ सा एक छोटा बादल उठ रहा है। एलिय्याह ने कहा, अहाब के पास जा कर कह, कि रथ जुतवा कर नीचे जा, कहीं ऐसा न हो कि तू वर्षा के कारण रुक जाए।

45 थोड़ी ही देर में आकाश वायु से उड़ाई हुई घटाओं, और आन्धी से काला हो गया और भारी वर्षा होने लगी; और अहाब सवार हो कर यिज्रेल को चला।

46 तब यहोवा की शक्ति एलिय्याह पर ऐसी हुई; कि वह कमर बान्धकर अहाब के आगे आगे यिज्रेल तक दौड़ता चला गया।

यहूदा के राजा आसा के माध्यम से पुनः प्रवर्तन

2 इतिहास 14 :1 निदान अबिय्याह अपने पुरखाओं के संग सो गया, और उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्र आसा उसके स्थान पर राज्य करने लगा। इसके दिनों में दस वर्ष तक देश में चैन रहा।

और आसा ने वही किया जो उसके परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में अच्छा और ठीक था।

उसने तो पराई वेदियों को और ऊंचे स्थानों को दूर किया, और लाठों को तुड़वा डाला, और अशेरा नाम मूरतों को तोड़ डाला।

और यहूदियों को आज्ञा दी कि अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज करें और व्यवस्था और आज्ञा को मानों।

और उसने ऊंचे स्थानों और सूर्य की प्रतिमाओं को यहूदा के सब नगरों में से दूर किया, और उसके साम्हने राज्य में चैन रहा।

और उसने यहूदा में गढ़ वाले नगर बसाए, क्योंकि देश में चैन रहा। और उन बरसों में उसे किसी से लड़ाई न करनी पड़ी क्योंकि यहोवा ने उसे विश्राम दिया था।

उसने यहूदियों से कहा, आओ हम इन नगरों को बसाएं और उनके चारों ओर शहरपनाह, गढ़ और फाटकों के पल्ले और बेड़े बनाएं; देश अब तक हमारे साम्हने पड़ा है, क्योंकि हम ने, अपने परमेश्वर यहोवा की खोज की है हमने उसकी खोज की और उसने हम को चारों ओर से विश्राम दिया है। तब उन्होंने उन नगरों को बसाया और कृतार्थ हुए।

फिर आसा के पास ढाल और बछीं रखने वालों की एक सेना थी, अर्थात यहूदा में से तो तीन लाख पुरुष और बिन्यामीन में से फरी रखने वाले और धनुर्धारी दो लाख अस्सी हजार ये सब शूरवीर थे।

और उनके विरुद्ध दस लाख पुरुषों की सेना और तीन सौ रथ लिये हुए जेरह नाम एक कूशी निकला और मारेशा तक आ गया।

10 तब आसा उसका साम्हना करने को चला और मारेशा के निकट सापता नाम तराई में युद्ध की पांति बान्धी गई।

11 तब आसा ने अपने परमेश्वर यहोवा की यों दोहाई दी, कि हे यहोवा! जैसे तू सामथीं की सहायता कर सकता है, वैसे ही शक्तिहीन की भी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा! हमारी सहायता कर, क्योंकि हमारा भरोसा तुझी पर है और तेरे नाम का भरोसा कर के हम इस भीड़ के विरुद्ध आए हैं। हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है; मनुष्य तुझ पर प्रबल न होने पाएगा।

12 तब यहोवा ने कूशियों को आसा और यहूदियों के साम्हने मारा और कूशी भाग गए।

13 और आसा और उसके संग के लोगों ने उनका पीछा गरार तक किया, और इतने कूशी मारे गए, कि वे फिर सिर न उठा सके क्योंकि वे यहोवा और उसकी सेना से हार गए, और यहूदी बहुत सा लूट ले गए।

14 और उन्होंने गरार के आस पास के सब नगरों को मार लिया, क्योंकि यहोवा का भय उनके रहने वालों के मन में समा गया और उन्होंने उन नगरों को लूट लिया, क्योंकि उन में बहुत सा धन था।

15 फिर पशु-शालाओं को जीत कर बहुत सी भेड़-बकरियां और ऊंट लूट कर यरूशलेम को लौटे।

आसा सुधार

2 इतिहास 15:1  तब परमेश्वर का आत्मा ओदेद के पुत्र अजर्याह में समा गया,

और वह आसा से भेंट करने निकला, और उस से कहा, हे आसा, और हे सारे यहूदा और बिन्यामीन मेरी सुनो, जब तक तुम यहोवा के संग रहोगे तब तक वह तुम्हारे संग रहेगा; और यदि तुम उसकी खोज में लगे रहो, तब तो वह तुम से मिला करेगा, परन्तु यदि तुम उसको त्याग दोगे तो वह भी तुम को त्याग देगा।

बहुत दिन इस्राएल बिना सत्य परमेश्वर के और बिना सिखाने वाले याजक के और बिना व्यवस्था के रहा।

परन्तु जब जब वे संकट में पड़ कर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर फिरे और उसको ढूंढ़ा, तब तब वह उन को मिला।

उस समय न तो जाने वाले को कुछ शांति होती थी, और न आने वाले को, वरन सारे देश के सब निवासियों में बड़ा ही कोलाहल होता था।

और जाति से जाति और नगर से नगर चूर किए जाते थे, क्योंकि परमेश्वर नाना प्रकार का कष्ट देकर उन्हें घबरा देता था।

परन्तु तुम लोग हियाव बान्धो और तुम्हारे हाथ ढीले न पड़ें, क्योंकि तुम्हारे काम का बदला मिलेगा।

जब आसा ने ये वचन और ओदेद नबी की नबूवत सुनी, तब उसने हियाव बान्ध कर यहूदा और बिन्यामीन के सारे देश में से, और उन नगरों में से भी जो उसने एप्रैम के पहाड़ी देश में ले लिये थे, सब घिनौनी वस्तुएं दूर कीं, और यहोवा की जो वेदी यहोवा के ओसारे के साम्हने थी, उसको नये सिरे से बनाया।

और उसने सारे यहूदा और बिन्यामीन को, और एप्रैम, मनश्शे और शिमोन में से जो लोग उसके संग रहते थे, उन को इकट्ठा किया, क्योंकि वे यह देख कर कि उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग रहता है, इस्राएल में से उसके पास बहुत से चले आए थे।

10 आसा के राज्य के पन्द्रहवें वर्ष के तीसरे महीने में वे यरूशलेम में इकट्ठे हुए।

11 और उसी समय उन्होंने उस लूट में से जो वे ले आए थे, सात सौ बैल और सात हजार भेड़-बकरियां, यहोवा को बलि कर के चढ़ाई।

12 और उन्होंने वाचा बान्धी कि हम अपने पूरे मन और सारे जीव से अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज करेंगे।

13 और क्या बड़ा, क्या छोटा, क्या स्त्री, क्या पुरुष, जो कोई इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की खोज न करे, वह मार डाला जाएगा।

14 और उन्होंने जयजयकार के साथ तुरहियां और नरसिंगे बजाते हुए ऊंचे शब्द से यहोवा की शपथ खाई।

15 और यह शपथ खाकर सब यहूदी आनन्दित हुए, क्योंकि उन्होंने अपने सारे मन से शपथ खाई और बडी अभिलाषा से उसको ढूंढ़ा और वह उन को मिला, और यहोवा ने चारों ओर से उन्हें विश्राम दिया।

16 वरन आसा राजा की माता माका जिसने अशेरा के पास रखने के लिए एक घिनौनी मूरत बनाई, उसको उसने राजमाता के पद से उतार दिया, और आसा ने उसकी मूरत काट कर पीस डाली और किद्रोन नाले में फूंक दी।

17 ऊंचे स्थान तो इस्राएलियों में से न ढाए गए, तौभी आसा का मन जीवन भर निष्कपट रहा।

18 और उसने जो सोना चान्दी, और पात्र उसके पिता ने अर्पण किए थे, और जो उसने आप अर्पण किए थे, उन को परमेश्वर के भवन में पहंचा दिया।

19 और राजा आसा के राज्य के पैंतीसवें वर्ष तक फिर लड़ाई न हुई।

योना के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति।

अध्याय 3 योना नीनवे में जाता है

1 तब यहोवा का यह वचन दूसरी बार योना के पास पहुंचा,

उठ कर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और जो बात मैं तुझ से कहूंगा, उसका उस में प्रचार कर।

तब योना यहोवा के वचन के अनुसार नीनवे को गया। नीनवे एक बहुत बड़ा नगर था, वह तीन दिन की यात्रा का था।

और योना ने नगर में प्रवेश कर के एक दिन की यात्रा पूरी की, और यह प्रचार करता गया, अब से चालीस दिन के बीतने पर नीनवे उलट दिया जाएगा।

तब नीनवे के मनुष्यों ने परमेश्वर के वचन की प्रतीति की; और उपवास का प्रचार किया गया और बड़े से ले कर छोटे तक सभों ने टाट ओढ़ा।

6 तब यह समाचार नीनवे के राजा के कान में पहुंचा; और उसने सिंहासन पर से उठ, अपना राजकीय ओढ़ना उतार कर टाट ओढ़ लिया, और राख पर बैठ गया।

और राजा ने प्रधानों से सम्मति ले कर नीनवे में इस आज्ञा का ढींढोरा पिटवाया, कि क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, या और पशु, कोई कुछ भी न खाएं; वे ने खांए और न पानी पीवें।

और मनुष्य और पशु दोनों टाट ओढ़ें, और वे परमेश्वर की दोहाई चिल्ला-चिल्ला कर दें; और अपने कुमार्ग से फिरें; और उस उपद्रव से, जो वे करते हैं, पश्चाताप करें।

सम्भव है, परमेश्वर दया करे और अपनी इच्छा बदल दे, और उसका भड़का हुआ कोप शान्त हो जाए और हम नाश होने से बच जाएं॥

10 जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा, कि वे कुमार्ग से फिर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपनी इच्छा बदल दी, और उनकी जो हानि करने की ठानी थी, उसको न किया॥

यहोशापात के माध्यम से पुनरुद्धार

2 इतिहास 19: 1 और यहूदा का राजा यहोशापात यरूशलेम को अपने भवन में कुशल से लौट गया।

तब हनानी नाम दशीं का पुत्र येहू यहोशापात राजा से भेंट करने को निकला और उस से कहने लगा, क्या दुष्टों की सहायता करनी और यहोवा के बैरियों से प्रेम रखना चाहिये? इस काम के कारण यहोवा की ओर से तुझ पर क्रोध भड़का है।

तौभी तुझ में कुछ अच्छी बातें पाई जाती हैं। तू ने तो देश में से अशेरों को नाश किया और उपने मन को परमेश्वर की खोज में लगाया है।

यहोशापात यरूशलेम में रहता था, और उसने बेर्शेबा से ले कर एप्रैम के पहाड़ी देश तक अपनी प्रजा में फिर दौरा कर के, उन को उनके पितरों के परमेश्वर यहोवा की ओर फेर दिया।

फिर उसने यहूदा के एक एक गढ़ वाले नगर में न्यायी ठहराया।

और उसने न्यायियों से कहा, सोचो कि क्या करते हो, क्योंकि तुम जो न्याय करोगे, वह मनुष्य के लिये नहीं, यहोवा के लिये करोगे; और वह न्याय करते समय तुम्हारे साथ रहेगा।

अब यहोवा का भय तुम में बना रहे; चौकसी से काम करना, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा में कुछ कुटिलता नहीं है, और न वह किसी का पक्ष करता और न घूस लेता है।

और यरूशलेम में भी यहोशापात ने लेवियों और याजकों और इस्राएल के पितरों के घरानों के कुछ मुख्य पुरुषों को यहोवा की ओर से न्याय करने और मुकद्दमों को जांचने के लिये ठहराया।

और वे यरूशलेम को लौटे। और उसने उन को आज्ञा दी, कि यहोवा का भय मान कर, सच्चाई और निष्कपट मन से ऐसा करना।

10 तुम्हारे भाई जो अपने अपने नगर में रहते हैं, उन में से जिसका कोई मुकद्दमा तुम्हारे साम्हने आए, चाहे वह खून का हो, चाहे व्यवस्था, अथवा किसी आज्ञा या विधि वा नियम के विषय हो, उन को चिता देना, कि यहोवा के विषय दोषी न होओ। बेसा न हो कि तुम पर और तुम्हारे भाइयों पर उसका क्रोध भड़के। ऐसा करो तो तुम दोषी न ठहरोगे।

11 और देखो, यहोवा के विष्य के सब मुकद्दमों में तो अमर्याह महायाजक और राजा के विषय के सब मुकद्दमों में यहूदा के घराने का प्रधान इश्माएल का पुत्र जबद्याह तुम्हारे ऊपर अधिकारी है; और लेवीय तुम्हारे साम्हने सरदारों का काम करेंगे। इसलिये हियाव बान्ध कर काम करो और भले मनुष्य के साथ यहोवा रहेगा।

पुनरुद्धार के बाद आशीर्वाद: मोआब और अम्मोन को हराया

2 इतिहास 20 : 1 इसके बाद मोआबियों और अम्मोनियों ने और उनके साथ कई मूनियों ने युद्ध करने के लिये यहोशापात पर चढ़ाई की।

तब लोगों ने आकर यहोशापात को बता दिया, कि ताल के पार से एदोम देश की ओर से एक बड़ी भीड़ तुझ पर चढ़ाई कर रही है; और देख, वह हसासोन्तामार तक जो एनगदी भी कहलाता है, पहुंच गई है।

तब यहोशपात डर गया और यहोवा की खोज में लग गया, और पूरे यहूदा में उपवास का प्रचार करवाया।

सो यहूदी यहोवा से सहायता मांगने के लिये इकट्ठे हुए, वरन वे यहूदा के सब नगरों से यहोवा से भेंट करने को आए।

प्रार्थना 5: 5 तब यहोशपात यहोवा के भवन में नये आंगन के साम्हने यहूदियों और यरूशलेमियों की मण्डली में खड़ा हो कर

यह कहने लगा, कि हे हमारे पितरों के परमेश्वर यहोवा! क्या तू स्वर्ग में परमेश्वर नहीं है? और क्या तू जाति जाति के सब राज्यों के ऊपर प्रभुता नहीं करता? और क्या तेरे हाथ में ऐसा बल और पराक्रम नहीं है कि तेरा साम्हना कोई नहीं कर सकता?

हे हमारे परमेश्वर! क्या तू ने इस देश के निवासियों अपनी प्रजा इस्राएल के साम्हने से निकाल कर इन्हें अपने मित्र इब्राहीम के वंश को सदा के लिये नहीं दे दिया?

वे इस में बस गए और इस में तेरे नाम का एक पवित्र स्थान बना कर कहा,

कि यदि तलवार या मरी अथवा अकाल वा और कोई विपत्ति हम पर पड़े, तौभी हम इसी भवन के साम्हने और तेरे साम्हने (तेरा नाम तो इस भवन में बसा है) खड़े हो कर, अपने क्लेश के कारण तेरी दोहाई देंगे और तू सुन कर बचाएगा।

10 और अब अम्मोनी और मोआबी और सेईर के पहाड़ी देश के लोग जिन पर तू ने इस्राएल को मिस्र देश से आते समय चढ़ाई करने न दिया, और वे उनकी ओर से मुड़ गए और उन को विनाश न किया,

11 देख, वे ही लोग तेरे दिए हुए अधिकार के इस देश में से जिसका अधिकार तू ने हमें दिया है, हम को निकाल कर कैसा बदला हमें दे रहे हैं।

12 हे हमारे परमेश्वर, क्या तू उनका न्याय न करेगा? यह जो बड़ी भीड़ हम पर चढ़ाई कर रही है, उसके साम्हने हमारा तो बस नहीं चलता और हमें हुछ सूझता नहीं कि क्या करना चाहिये? परन्तु हमारी आंखें तेरी ओर लगी हैं।

13 और सब यहूदी अपने अपने बाल-बच्चों, स्त्रिीयों और पुत्रों समेत यहोवा के सम्मुख खड़े रहे।

14 तब आसाप के वंश में से यहजीएल नाम एक लेवीय जो जकर्याह का पुत्र और बनायाह का पोता और मत्तन्याह के पुत्र यीएल का परपोता था, उस में मण्डली के बीच यहोवा का आत्मा समाया।

15 और वह कहने लगा, हे सब यहूदियो, हे यरूशलेम के रहनेवालो, हे राजा यहोशापात, तुम सब ध्यान दो; यहोवा तुम से यों कहता है, तुम इस बड़ी भीड़ से मत डरो और तुम्हारा मन कच्चा न हो; क्योंकि युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है।

16 कल उनका साम्हना करने को जाना। देखो वे सीस की चढ़ाई पर चढ़े आते हैं और यरूएल नाम जंगल के साम्हने नाले के सिरे पर तुम्हें मिलेंगे।

17 इस लड़ाई में तुम्हें लड़ना न होगा; हे यहूदा, और हे यरूशलेम, ठहरे रहना, और खड़े रह कर यहोवा की ओर से अपना बचाव देखना। मत डरो, और तुम्हारा मन कच्चा न हो; कल उनका साम्हना करने को चलना और यहोवा तुम्हारे साथ रहेगा।

18 तब यहोशापात भूमि की ओर मुंह कर के झुका और सब यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों ने यहोवा के साम्हने गिर के यहोवा को दण्डवत किया।

19 और कहातियों और कोरहियों में से कुछ लेवीय खड़े हो कर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की स्तुति अत्यन्त ऊंचे स्वर से करने लगे।

20 बिहान को वे सबेरे उठ कर तकोआ के जंगल की ओर निकल गए; और चलते समय यहोशापात ने खड़े हो कर कहा, हे यहूदियो, हे यरूशलेम के निवासियो, मेरी सुनो, अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीत करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे।

21 तब उसने प्रजा के साथ सम्मति कर के कितनों को ठहराया, जो कि पवित्रता से शोभायमान हो कर हथियारबन्दों के आगे आगे चलते हुए यहोवा के गीत गाएं, और यह कहते हुए उसकी स्तुति करें, कि यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।

22 जिस समय वे गाकर स्तुति करने लगे, उसी समय यहोवा ने अम्मोनियों, मोआबियों और सेईर के पहाड़ी देश के लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए।

23 क्योंकि अम्मोनियों और मोआबियों ने सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों डराने और सत्यानाश करने के लिये उन पर चढ़ाई की, और जब वे सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों का अन्त कर चुके, तब उन सभों ने एक दूसरे के नाश करने में हाथ लगाया।

24 सो जब यहूदियों ने जंगल की चौकी पर पहुंच कर उस भीड़ की ओर दृष्टि की, तब क्या देख कि वे भूमि पर पड़ी हुई लोथ हैं; और कोई नहीं बचा।

25 तब यहोशापात और उसकी प्रजा लूट लेने को गए और लोथों के बीच बहुत सी सम्पत्ति और मनभावने गहने मिले; उन्होंने इतने गहने उतार लिये कि उन को न ले जा सके, वरन लूट इतनी मिली, कि बटोरते बटोरते तीन दिन बीत गए।

26 चौथे दिन वे बराका नाम तराई में इकट्ठे हुए और वहां यहोवा का धन्यवाद किया; इस कारण उस स्थान का नाम बराका की ताराई पड़ा, जो आज तक है।

27 तब वे, अर्थात यहूदा और यरूशलेम नगर के सब पुरुष और उनके आगे आगे यहोशापात, आनन्द के साथ यरूशलेम लौटे क्योंकि यहोवा ने उन्हें शत्रुओं पर आनन्दित किया था।

28 सो वे सारंगियां, वीणाएं और तुरहियां बजाते हुए यरूशलेम में यहोवा के भवन को आए।

29 और जब देश देश के सब राज्यों के लोगों ने सुना कि इस्राएल के शत्रुओं से यहोवा लड़ा, तब उनके मन में परमेश्वर का डर समा गया।

30 और यहोशापात के राज्य को चैन मिला, क्योंकि उसके परमेश्वर ने उसको चारों ओर से विश्राम दिया।

हिजकिय्याह के ज़रिए पुनरुद्धार: मंदिर को शुद्ध करता है

2 इतिहास 29 : 1 जब हिजकिय्याह राज्य करने लगा तब वह पच्चीस वर्ष का था, और उनतीस वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उसकी माता का ताम अबिय्याह था, जो जकर्याह की बेटी थी।

जैसे उसके मूलपुरुष दाऊद ने किया था अर्थात जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था वैसा ही उसने भी किया।

अपने राज्य के पहिले वर्ष के पहिले महीने में उसने यहोवा के भवन के द्वार खुलवा दिए, और उनकी मरम्मत भी कराई।

तब उसने याजकों और लेवियों को ले आ कर पूर्व के चौक में इकट्ठा किया।

और उन से कहने लगा, हे लेवियो मेरी सुनो! अब अपने अपने को पवित्र करो, और अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा के भवन को पवित्र करो, और पवित्रस्थान में से मैल निकालो।

देखो हमारे पुरखाओं ने विश्वासघात कर के वह कर्म किया था, जो हमारे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में बुरा है और उसको तज कर के यहोवा के निवास से मुंह फेर कर उसको पीठ दिखाई थी।

फिर उन्होंने ओसारे के द्वार बन्द किए, और दीपकों को बुझा दिया था; और पवित्र स्थान में इस्राएल के परमेश्वर के लिये न तो धूप जलाया और न होमबलि चढ़ाया था।

इसलिये यहोवा का क्रोध यहूदा और यरूशलेम पर भड़का है, और उसने ऐसा किया, कि वे मारे मारे फिरें और चकित होने और ताली बजाने का कारण हो जाएं, जैसे कि तुम अपनी आंखों से देख रहे हो।

देखो, इस कारण हमारे बाप तलवार से मारे गए, और हमारे बेटे-बेटियां और स्त्रियां बन्धुआई में चली गई हैं।

10 अब मेरे मन ने यह निर्णय किया है कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से वाचा बान्धूं, इसलिये कि उसका भड़का हुआ क्रोध हम पर से दूर हो जाए।

11 हे मेरे बेटो, ढिलाई न करो देखो, यहोवा ने अपने सम्मुख खड़े रहने, और अपनी सेवा टहल करने, और अपने टहलुए और धूप जलाने वाले का काम करने के लिये तुम्हीं को चुन लिया है।

15 इन्होंने अपने भाइयों को इकट्ठा किया और अपने अपने को पवित्र कर के राजा की उस आज्ञा के अनुसार जो उसने यहोवा से वचन पाकर दी थी, यहोवा के भवन के शुद्ध करने के लिये भीतर गए।

16 तब याजक यहोवा के भवन के भीतरी भाग को शुद्ध करने के लिये उस में जा कर यहोवा के मन्दिर में जितनी अशुद्ध वस्तुएं मिलीं उन सब को निकाल कर यहोवा के भवन के आंगन में ले गए, और लेवियों ने उन्हें उठा कर बाहर किद्रोन के नाले में पहुंचा दिया।

17 पहिले महीने के पहिले दिन को उन्होंने पवित्र करने का काम आरम्भ किया, और उसी महीने के आठवें दिन को वे यहोवा के ओसारे तक आ गए। इस प्रकार उन्होंने यहोवा के भवन को आठ दिन में पवित्र किया, और पहिले महीने के सोलहवें दिन को उन्होंने उस काम को पूरा किया।

18 तब उन्होंने राजा हिजकिय्याह के पास भीतर जा कर कहा, हम यहोवा के पूरे भवन को और पात्रों समेत होमबलि की वेदी और भेंट की रोटी की मेज को भी शुद्ध कर चुके।

19 और जितने पात्र राजा आहाज ने अपने राज्य में विश्वासघात कर के फेंक दिए थे, उन को भी हम ने ठीक कर के पवित्र किया है; और वे यहोवा की वेदी के साम्हने रखे हुए हैं।

20 तब राजा हिजकिय्याह सबेरे उठ कर नगर के हाकिमों को इकट्ठा कर के, यहोवा के भवन को गया।

21 तब वे राज्य और पवित्रस्थान और यहूदा के निमित्त सात बछड़े, सात मेढ़े, सात भेड़ के बच्चे, और पापबलि के लिये सात बकरे ले आए, और उसने हारून की सन्तान के लेवियों को आज्ञा दी कि इन सब को यहोवा की वेदी पर चढ़ाएं।

22 तब उन्होंने बछड़े बलि किए, और याजकों ने उनका लोहू ले कर वेदी पर छिड़क दिया; तब उन्होंने मेढ़े बलि किए, और उनका लोहू भी वेदी पर छिड़क दिया। और भेड़ के बच्चे बलि किए, और उनका भी लोहू वेदी पर छिडक दिया।

23 तब वे पापबलि के बकरों को राजा और मण्डली के समीप ले आए और उन पर अपने अपने हाथ रखे।

24 तब याजकों ने उन को बलि कर के, उनका लोहू वेदी पर छिड़क कर पापबलि किया, जिस से सारे इस्राएल के लिये प्रायश्चित्त किया जाए। क्योंकि राजा ने सारे इस्राएल के लिये होमबलि और पापबलि किए जाने की आज्ञा दी थी।

25 फिर उसने दाऊद और राजा के दशीं गाद, और नातान नबी की आज्ञा के अनुसार जो यहोवा की ओर से उसके नबियों के द्वारा आई थी, झांझ, सारंगियां और वीणाएं लिए हुए लेवियों को यहोवा के भवन में खड़ा किया।

26 तब लेवीय दाऊद के चलाए बाजे लिए हुए, और याजक तुरहियां लिए हुए खड़े हुए।

27 तब हिजकिय्याह ने वेदी पर होमबलि चढ़ाने की आज्ञा दी, और जब होमबलि चढ़ने लगी, तब यहोवा का गीत आरम्भ हुआ, और तुरहियां और इस्राएल के राजा दाऊद के बाजे बजने लगे।

28 और मण्डली के सब लोग दण्डवत करते और गाने वाले गाते और तुरही फूंकने वाले फूंकते रहे; यह सब तब तक होता रहा, जब तक होमबलि चढ़ न चुकी।

29 और जब बलि चढ़ चुकी, तब राजा और जितने उसके संग वहां थे, उन सभों ने सिर झुका कर दण्डवत किया।

30 और राजा हिजकिय्याह और हाकिमों ने लेवियों को आज्ञा दी, कि दाऊद और आसाप दशीं के भजन गाकर यहोवा की स्तुति करें। और उन्होंने आनन्द के साथ स्तुति की और सिर नवाकर दण्डवत किया।

31 तब हिजकिय्याह कहने लगा, अब तुम ने यहोवा के निमित्त अपना अर्पण किया है; इसलिये समीप आ कर यहोवा के भवन में मेलबलि और धन्यवादबलि पहुंचाओ। तब मण्डली के लोगों ने मेलबलि और धन्यवादबलि पहुंचा दिए, और जितने अपनी इच्छा से देना चाहते थे उन्होंने भी होमबलि पहुंचाए।

32 जो होमबलि पशु मण्डली के लोग ले आए, उनकी गिनती यह थी; सत्तर बैल, एक सौ मेढ़े, और दो सौ भेड़ के बच्चे; थे सब यहोवा के निमित्त होमबलि के काम में आए।

33 और पवित्र किए हुए पशु, छ: सौ बैल और तीन हजार भेड़-बकरियां थी।

34 परन्तु याजक ऐसे थोड़े थे, कि वे सब होमबलि पशुओं की खालें न उतार सके, तब उनके भाई लेवीय उस समय तक उनकी सहायता करते रहे जब तक वह काम निपट न गया, और याजकों ने अपने को पवित्र न किया; क्योंकि लेवीय अपने को पवित्र करने के लिये पवित्र याजकों से अधिक सीधे मन के थे।

35 और फिर होमबलि पशु बहुत थे, और मेलबलि पशुओं की चर्बी भी बहुत थी, और एक एक होमबलि के साथ अर्घ भी देना पड़ा। यों यहोवा के भवन में की उपासना ठीक की गई।

36 तब हिजकिय्याह और सारी प्रजा के लोग उस काम के कारण आनन्दित हुए, जो यहोवा ने अपनी प्रजा के लिये तैयार किया था; क्योंकि वह काम एकाएक हो गया था।

हिजकिय्याह फसह मनाता है। 

2 इतिहास 30 :1 फिर हिजकिय्याह ने सारे इस्राएल और यहूदा में कहला भेजा, और एप्रैम और मनश्शे के पास इस आशय के पत्र लिख भेजे, कि तुम यरूशलेम को यहोवा के भवन में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये फसह मनाने को आओ।

क्योंकि उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में उसको इस प्रकार न मनाया था जैसा कि लिखा है। इसलिये हरकारे राजा और उसके हाकिमों से चिट्ठियां ले कर, राजा की आज्ञा के अनुसार सारे इस्राएल और यहूदा में घूमे, और यह कहते गए, कि हे इस्राएलियो! इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो, कि वह अश्शूर के राजाओं के हाथ से बचे हुए तुम लोगों की ओर फिरे।

और अपने पुरखाओं और भाइयों के समान मत बनो, जिन्होंने अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा से विश्वासघात किया था, और उसने उन्हें चकित होने का कारण कर दिया, जैसा कि तुम स्वयं देख रहे हो।

अब अपने पुरखाओं की नाईं हठ न करो, वरन यहोवा के आधीन हो कर उसके उस पवित्र स्थान में आओ जिसे उसने सदा के लिये पवित्र किया है, और अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करो, कि उसका भड़का हुआ क्रोध तुम पर से दूर हो जाए।

यदि तुम यहोवा की ओर फिरोगे तो जो तुम्हारे भाइयों और लड़के-बालों को बन्धुआ बना के ले गए हैं, वे उन पर दया करेंगे, और वे इस देश में लौट सकेंगे क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु है, और यदि तुम उसकी ओर फिरोगे तो वह अपना मुंह तुम से न मोड़ेगा।

10 इस प्रकार हरकारे एप्रैम और मनश्शे के देशें में नगर नगर होते हुए जबूलून तक गए; परन्तु उन्होंने उनकी हंसी की, और उन्हें ठट्ठों में उड़ाया।

11 तौभी आशेर, मनश्शे और जबूलून में से कुछ लोग दीन हो कर यरूशलेम को आए।

12 और यहूदा में भी परमेश्वर की ऐसी शक्ति हुई, कि वे एक मन हो कर, जो आज्ञा राजा और हाकिमों ने यहोवा के वचन के अनुसार दी थी, उसे मानने को तैयार हुए।

13 इस प्रकार अधिक लोग यरूशलेम में इसलिये इकट्ठे हुए, कि दूसरे महीने में अखमीरी रोटी का पर्व्व मानें। और बहुत बड़ी सभा इकट्ठी हो गई।

14 और उन्होंने उठ कर, यरूशलेम की वेदियों और धूप जलाने के सब स्थानों को उठा कर किद्रोन नाले में फेंक दिया।

15 तब दूसरे महीने के चौदहवें दिन को उन्होंने फसह के पशु बलि किए तब याजक और लेवीय लज्जित हुए और अपने को पवित्र कर के होमबलियों को यहोवा के भवन में ले आए।

16 और वे अपने नियम के अनुसार, अर्थात परमेश्वर के जन मूसा की व्यवस्था के अनुसार, अपने अपने स्थान पर खड़े हुए, और याजकों ने रक्त को लेवियों के हाथ से ले कर छिड़क दिया।

17 क्योंकि सभा में बहुते ऐसे थे जिन्होंने अपने को पवित्र न किया था; इसलिये सब अशुद्ध लोगों के फसह के पशुओं को बलि करने का अधिकार लेवियों को दिया गया, कि उन को यहोवा के लिये पवित्र करें।

18 बहुत से लोगों ने अर्थात एप्रैम, मनश्शे, इस्साकार और जबूलून में से बहुतों ने अपने को शुद्ध नहीं किया था, तौभी वे फसह के पशु का मांस लिखी हुई विधि के विरुद्ध खाते थे। क्योंकि हिजकिय्याह ने उनके लिये यह प्रार्थना की थी, कि यहोवा जो भला है, वह उन सभों के पाप ढांप दे;

19 जो परमेश्वर की अर्थात अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज में मन लगाए हुए हैं, चाहे वे पवित्र स्थान की विधि के अनुसार शुद्ध न भी हों।

20 और यहोवा ने हिजकिय्याह की यह प्रार्थना सुन कर लोगों को चंगा किया।

21 और जो इस्राएली यरूशलेम में उपस्थित थे, वे सात दिन तक अखमीरी रोटी का पर्व्व बड़े आनन्द से मनाते रहे; और प्रतिदिन लेवीय और याजक ऊंचे शब्द के बाजे यहोवा के लिये बजा कर यहोवा की स्तुति करते रहे।

22 और जितने लेवीय यहोवा का भजन बुद्धिमानी के साथ करते थे, उन को हिजकिय्याह ने शान्ति के वचन कहे। इस प्रकार वे मेलबलि चढ़ा कर और अपने पुर्वजों के परमेश्वर यहोवा के सम्मुख पापांगीकार करते रहे और उस नियत पर्व्व के सातों दिन तक खाते रहे।

23 तब सारी सभा ने सम्मति की कि हम और सात दिन पर्व्व मानेंगे; सो उन्होंने और सात दिन आनन्द से पर्व्व मनाया।

24 क्योंकि यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने सभा को एक हजार बछड़े और सात हजार भेड़-बकरियां दे दीं, और हाकिमों ने सभा को एक हजार बछड़े और दस हजार भेड़-बकरियां दीं, और बहुत से याजकों ने अपने को पवित्र किया।

25 तब याजकों और लेवियों समेत यहूदा की सारी सभा, और इस्राएल से आए हुओं की सभा, और इस्राएल के देश से आए हुए, और यहूदा में रहने वाले परदेशी, इन सभों ने आनन्द किया।

26 सो यरूशलेम में बड़ा आनन्द हुआ, क्योंकि दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान के दिनों से ऐसी बात यरूशलेम में न हुई थी।

27 अन्त में लेवीय याजकों ने खड़े हो कर प्रजा को आशीर्वाद दिया, और उनकी सुनी गई, और उनकी प्रार्थना उसके पपित्र धाम तक अर्थात स्वर्ग तक पहुंची।

2 इतिहास 31 : 1 जब यह सब हो चुका, तब जितने इस्राएली अपस्थित थे, उन सभों ने यहूदा के नगरों में जा कर, सारे यहूदा और बिन्यामीन और एप्रेम और मनश्शे में कि लाठों को तोड़ दिया, अशेरों को काट डाला, और ऊंचे स्थानों और वेदियों को गिरा दिया; और उन्होंने उन सब का अन्त कर दिया। तब सब इस्राएली अपने अपने नगर को लौट कर, अपनी अपनी निज भूमि में पहुंचे।

आराधनाके लिए योगदान

और हिजकिय्याह ने याजकों के दलों को और लेवियों को वरन याजकों और लेवियों दोनों को, प्रति दल के अनुसार और एक एक मनुष्य को उसकी सेवकाई के अनुसार इसलिये ठहरा दिया, कि वे यहोवा की छावनी के द्वारों के भीतर होमबलि, मेलबलि, सेवा टहल, धन्यवाद और स्तुति किया करें।

फिर उसने अपनी सम्पत्ति में से राजभाषा को होमबलियों के लिये ठहरा दिया; अर्थात सवेरे और सांझ की होमबलि और विश्राम और नये चांद के दिनों और नियत समयों की होमबलि के लिये जैसा कि यहोवा की व्यवस्था में लिखा है।

और उसने यरूशलेम में रहने वालों को याजकों और लेवियों को उनका भाग देने की आज्ञा दी, ताकि वे यहोवा की व्यवस्था के काम मन लगा कर कर सकें।

यह आज्ञा सुनते ही इस्राएली अन्न, नया दाखमधु, टटका तेल, मधु आादि खेती की सब भांति की पहिली उपज बहुतायत से देने, और सब वस्तुओं का दशमांश अधिक मात्रा में लाने लगे।

और जो इस्राएली और यहूदी, यहूदा के नगरों में रहते थे, वे भी बैलों और भेड़-बकरियों का दशमांश, और उन पवित्र वस्तुओं का दशमांश, जो उनके परमेश्वर यहोवा के निमित्त पवित्र की गई थीं, लाकर ढेर ढेर कर के रखने लगे।

इस प्रकार ढेर का लगाना उन्होंने तीसरे महीने में आरम्भ किया और सातवें महीने में पूरा किया।

जब हिजकिय्याह और हाकिमों ने आ कर उन ढेरों को देखा, तब यहोवा को और उसकी प्रजा इस्राएल को धन्य धन्य कहा।

तब हिजकिय्याह ने याजकों और लेवियों से उन ढेरों के विषय पूछा।

10 और अजर्याह महायाजक ने जो सादोक के घराने का था, उस से कहा, जब से लोग यहोवा के भवन में उठाई हुई भेंटें लाने लगे हैं, तब से हम लोग पेट भर खाने को पाते हैं, वरन बहुत बचा भी करता है; क्योंकि यहोवा ने अपनी प्रजा को आशीष दी है, और जो शेष रह गया है, उसी का यह बड़ा ढेर है।

राजा योशिय्याह के माध्यम से पुनः प्रवर्तन

2 इतिहास 34 : 1 जब योशिय्याह राज्य करने लगा तब वह आठ वर्ष का था, और यरूशलेम में इकतीस वर्ष तक राज्य करता रहा।

उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है, और जिन मार्गों पर उसका मूलपुरुष दाऊद चलता रहा, उन्हीं पर वह भी चला करता था और उस से न तो दाहिनी ओर मुड़ा, और न बाईं ओर।

वह लड़का ही था, अर्थात उसको गद्दी पर बैठे आठ वर्ष पूरे भी न हुए थे कि अपने मूलपुरुष दाऊद के परमेश्वर की खोज करने लगा, और बारहवें वर्ष में वह ऊंचे स्थानों और अशेरा नाम मूरतों को और खुदी और ढली हुई मूरतों को दूर कर के, यहूदा और यरूशलेम को शुद्ध करने लगा।

और बाल देवताओं की वेदियां उसके साम्हने तोड़ डाली गई, और सूर्य की प्रतिमायें जो उनके ऊपर ऊंचे पर थी, उसने काट डालीं, और अशेरा नाम, और खुदी और ढली हुई मूरतों को उसने तोड़ कर पीस डाला, और उनकी बुकनी उन लोगों की कबरों पर छितरा दी, जो उन को बलि चढ़ाते थे।

और पुजारियों की हड्डियां उसने उन्हीं की वेदियों पर जलाईं। यों उसने यहूदा और यरूशलेम को शुद्ध किया।

फिर मनश्शे, एप्रैम और शिमोन के वरन नप्ताली तक के नगरों के खणडहरों में, उसने वेदियों को तोड़ डाला,

और अशेरा नाम और खुदी हुई मूरतों को पीस कर बुकनी कर डाला, और इस्राएल के सारे देश की सूर्य की सब प्रतिमाओं को काट कर यरूशलेम को लौट गया।

फिर अपने राज्य के अठारहवें वर्ष में जब वह देश और भवन दोनों को शुद्ध कर चुका, तब उसने असल्याह के पुत्र शापान और नगर के हाकिम मासेयाह और योआहाज के पुत्र इतिहास के लेखक योआह को अपने परमेश्वर यहोवा के भवन की मरम्मत कराने के लिये भेज दिया।

सो उन्होंने हिल्किय्याह महायाजक के पास जा कर जो रुपया परमेश्वर के भवन में लाया गया था, अर्थात जो लेवीय दरबानों ने मनश्शियों, एप्रैमियों और सब बचे हुए इस्राएलियों से और सब यहूदियों और बिन्यामीनियों से और यरूशलेम के निवासियों के हाथ से ले कर इकट्ठा किया था, उसको सौंप दिया।

10 अर्थात उन्होंने उसे उन काम करने वालों के हाथ सौंप दिया जो यहोवा के भवन के काम पर मुखिये थे, और यहोवा के भवन के उन काम करने वालों ने उसे भवन में जो कुछ टूटा फूटा था, उसकी मरम्मत करने में लगाया।

11 अर्थात उन्होंने उसे बढ़इयों और राजों को दिया कि वे गढ़े हुए पत्थर और जोड़ों के लिये लकड़ी मोल लें, और उन घरों को पाटें जो यहूदा के राजाओं ने नाश कर दिए थे।

12 और वे मनुष्य सच्चाई से काम करते थे, और उनके अधिकारी मरारीय, यहत और ओबद्याह, लेवीय और कहाती, जकर्याह और मशुल्लाम काम चलाने वाले और गाने-बजाने का भेद सब जानने वाले लेवीय भी थे।

13 फिर वे बोझियों के अधिकारी थे और भांति भांति की सेवकाई और काम चलाने वाले थे, और कुछ लेवीय मुंशी सरदार और दरबान थे।

कानून की किताब मिली

14 जब वे उस रुपये को जो यहोवा के भवन में पहुंचाया गया था, निकाल रहे थे, तब हिल्किय्याह याजक को मूसा के द्वारा दी हुई यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक मिली।

15 तब हिल्किय्याह ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिल्किय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी।

16 तब शापान उस पुस्तक को राजा के पास ले गया, और यह सन्देश दिया, कि जो जो काम तेरे कर्मचारियों को सौंपा गया था उसे वे कर रहे हैं।

17 और जो रुपया यहोवा के भवन में मिला, उसको उन्होंने उण्डेल कर मुखियों और कारीगरों के हाथों में सौंप दिया है।

18 फिर शापान मंत्री ने राजा को यह भी बता दिया कि हिल्किय्याह याजक ने मुझे एक पुस्तक दी है तब शपान ने उस में से राजा को पढ़ कर सुनाया।

19 व्यवस्था की वे बातें सुन कर राजा ने अपने वस्त्र फाढ़े।

20 फिर राजा ने हिल्किय्याह शापान के पुत्र अहीकाम, मीका के पुत्र अब्दोन, शापान मंत्री और असायाह नाम अपने कर्मचारी को आज्ञा दी,

21 कि तुम जा कर मेरी ओर से और इस्राएल और यहूदा में रहने वालों की ओर से इस पाई हुई पुस्तक के वचनों के विष्य यहोवा से पूछो; क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इसलिये भड़की है कि हमारे पुरखाओं ने यहोवा का वचन नहीं माना, और इस पुस्तक में लिखी हुई सब आज्ञाओं का पालन नहीं किया।

22 तब हिल्कय्याह ने राजा के और और दूतों समेत हुल्दा नबिया के पास जा कर उस से उसी बात के अनुसार बातें की, वह तो उस शल्लूम की स्त्री थी जो तोखत का पुत्र और हस्रा का पोता और वस्त्रालय का रखवाला था: और वह स्त्री यरूशलेम के नये टोले में रहती थी।

23 उसने उन से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जिस पुरुष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो,

24 कि यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं इस स्थान और इस के निवासियों पर विपत्ति डाल कर यहूदा के राजा के साम्हने जो पुस्तक पड़ी गई, उस में जितने शाप लिखे हैं उन सभों को पूरा करूंगा।

25 उन लोगों ने मुझे त्याग कर पराये देवताओं के लिये धूप जलाया है और अपनी बनाईं हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाई है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़क उठी है, और शान्त न होगी।

26 परन्तु यहूदा का राजा जिसने तुम्हें यहोवा के पूछने को भेज दिया है उस से तुम यों कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है,

27 कि इसलिये कि तू वे बातें सुन कर दीन हुआ, और परमेश्वर के साम्हने अपना सिर नवाया, और उसकी बातें सुन कर जो उसने इस स्थान और इस के निवासियों के विरुद्ध कहीं, तू ने मेरे साम्हने अपना सिर नवाया, और वस्त्र फाड़ कर मेरे साम्हने रोया है, इस कारण मैं ने तेरी सुनी है; यहोवा की यही वाणी है।

28 सुन, मैं तुझे तेरे पुरखाओं के संग ऐसा मिलाऊंगा कि तू शांति से अपनी कब्र को पहुंचाया जायगा; और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर, और इसके निवासियों पर डालना चाहता हूँ, उस में से तुझे अपनी आंखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा। तब उन लोगों ने लौट कर राजा को यही सन्देश दिया।

29 तब राजा ने यहूदा और यरूशलेम के सब पुरनियों को इकट्ठे होने को बुलवा भेजा।

30 और राजा यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों और याजकों और लेवियों वरन छोटे बड़े सारी प्रजा के लोगों को संग ले कर यहोवा के भवन को गया; तब उस न जो वाचा की पुस्तक यहोवा के भवन में मिली थी उस में की सारी बातें उन को पढ़ कर सुनाईं।

31 तब राजा ने अपने स्थान पर खड़ा हो कर, यहोवा से इस आशय की वाचा बान्धी कि मैं यहोवा के पीछे पीछे चलूंगा, और अपने पूर्ण मन और पूर्ण जीव से उसकी आज्ञाएं, चितौनियों और विधियों का पालन करूंगा, और इन वाचा की बातों को जो इस पुस्तक में लिखी हैं, पूरी करूंगा।

32 और उसने उन सभों से जो यरूशलेम में और बिन्यामीन में थे वैसी ही वाचा बन्धाई। और यरूशलेम के निवासी, परमेश्वर जो उनके पितरों का परमेश्वर था, उसकी वाचा के अनुसार करने लगे।

33 और योशिय्याह ने इस्राएलियों के सब देशों में से सब घिनौनी वस्तुओं को दूर कर के जितने इस्राएल में मिले, उन सभों से उपासना कराई; अर्थात उनके परमेश्वर यहोवा की उपासना कराई। और उसके जीवन भर उन्होंने अपने पूवजों के परमेश्वर यहोवा के पीछे चलना न छोड़ा।

2 इतिहास 35 योशिय्याह फसह मनाता है।

1 और योशिय्याह ने यरूशलेम में यहोवा के लिये फसह पर्व माना और पहिले महीने के चौदहवें दिन को फसह का पशु बलि किया गया।

और उसने याजकों को अपने अपने काम में ठहराया, और यहोवा के भवन में की सेवा करने को उनका हियाव बन्धाया।

फिर लेवीय जो सब इस्राएलियों को सिखाते और यहोवा के लिये पवित्र ठहरे थे, उन से उसने कहा, तुम पवित्र सन्दूक को उस भवन में रखो जो दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान ने बनवाया था; अब तुम को कन्धों पर बोझ उठाना न होगा। अब अपने परमेश्वर यहोवा की और उसकी प्रजा इस्राएल की सेवा करो।

और इस्राएल के राजा दाऊद और उसके पुत्र सुलैमान दोनों की लिखी हुई विधियों के अनुसार, अपने अपने पितरों के अनुसार, अपने अपने दल में तैयार रहो।

और तुम्हारे भाई लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार पवित्र स्थान में खड़े रहो, अर्थात उनके एक भाग के लिये लेवियों के एक एक पितर के घराने का एक भाग हो।

और फसह के पशुओं को बलि करो, और अपने अपने को पवित्र कर के अपने भाइयों के लिये तैयारी करो कि वे यहोवा के उस वचन के अनुसार कर सकें, जो उसने मूसा के द्वारा कहा था।

फिर योशिय्याह ने सब लोगों को जो वहां उपस्थित थे, तीस हजार भेड़ों और बकरियों के बच्चे और तीन हजार बैल दिए थे; ये सब फसह के बलिदानों के लिये राजा की सम्पत्ति में से दिए गए थे।

और उस के हाकिमों ने प्रजा के लोगों, याजकों और लेवियों को स्वेच्छाबलियों के लिये पशु दिए। और हिल्किय्याह, जकर्याह और यहीएल नाम परमेश्वर के भवन के प्रधानों ने याजकों को दो हजार छ:सौ भेड़-बकरियां। और तीन सौ बैल फसह के बलिदानों के लिए दिए।

और कोनन्याह ने और शमायाह और नतनेल जो उसके भाई थे, और हसब्याह, यीएल और योजाबाद नामक लेवियों के प्रधानों ने लेवियों को पांच हजार भेड़-बकरियां, और पांच सौ बैल फसह के बलिदानों के लिये दिए।

10 इस प्रकार उपासना की तैयारी हो गई, और राजा की आज्ञा के अनुसार याजक अपने अपने स्थान पर, और लेवीय अपने अपने दल में खड़े हुऐ।

11 तब फसह के पशु बलि किए गए, और याजक बलि करने वालों के हाथ से लोहू को ले कर छिड़क देते और लेवीय उनकी खाल उतारते गए।

12 तब उन्होंने होमबलि के पशु इसलिये अलग किए कि उन्हें लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार दें, कि वे उन्हें यहोवा के लिये चढ़वा दें जैसा कि मूसा की पुस्तक में लिखा है; और बैलों को भी उन्होंने वैसा ही किया।

13 तब उन्होंने फसह के पशुओं का मांस विधि के अनुसार आग में भूंजा, और पवित्र वस्तुएं, हंडियों और हंडों और थालियों में सिझा कर फुतीं से लोगों को पहुंचा दिया।

14 तब उन्होंने अपने लिये और याजकों के लिये तैयारी की, क्योंकि हारून की सन्तान के याजक होमबलि के पशु और चरबी रात तक चढ़ाते रहे, इस कारण लेवियों ने अपने लिये और हारून की सन्तान के याजकों के लिये तैयारी की।

15 और आसाप के वंश के गवैये, दाऊद, आसाप, हेमान और राजा के दशीं यदूतून की आज्ञा के अनुसार अपने अपने स्थान पर रहे, और द्वारपाल एक एक फाटक पर रहे। उन्हें अपना अपना काम छोड़ना न पड़ा, क्योंकि उनके भई लेवियों ने उनके लिये तैयारी की।

16 यों उसी दिन राजा योशिय्याह की आज्ञा के अनुसार फसह मनाने और यहोवा की वेदी पर होमबलि चढ़ाने के लिये यहोवा की सारी अपासना की तैयारी की गई।

17 जो इस्राएली वहां उपस्थित थे उन्होंने फसह को उसी समय और अखमीरी रोटी के पर्व को सात दिन तक माना।

18 इस फसह के बराबर शमूएल नबी के दिनों से इस्राएल में कोई फसह मनाया न गया था, और न इस्राएल के किसी राजा ने ऐसा मनाया, जैसा योशिय्याह और याजकों, लेवियों और जितने यहूदी और इस्राएली उपस्थित थे, उनहोंने और यरूशलेम के निवासियों ने मनाया।

19 यह फसह योशिय्याह के राज्य के अठारहवें वर्ष में मनाया गया।

पुनः प्रवर्तन के लिए निर्वासन के दौरान दानिय्येल की प्रार्थना

दानिय्येल 9:1 मादी क्षयर्ष का पुत्र दारा, जो कसदियों के देश पर राजा ठहराया गया था,

उसके राज्य के पहिले वर्ष में, मुझ दानिय्येल ने शास्त्र के द्वारा समझ लिया कि यरूशलेम की उजड़ी हुई दशा यहोवा के उस वचन के अनुसार, जो यिर्मयाह नबी के पास पहुंचा था, कुछ वर्षों के बीतने पर अर्थात सत्तर वर्ष के बाद पूरी हो जाएगी।

तब मैं अपना मुख परमेश्वर की ओर कर के गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करने लगा, और उपवास कर, टाट पहिन, राख में बैठ कर वरदान मांगने लगा।

नबी हाग्गै के माध्यम से प्रभु के घर बनाने का आह्वान

हाग्गै 1: 1 दारा राजा के दूसरे वर्ष के छठवें महीने के पहिले दिन, यहोवा का यह वचन, हाग्गै भविष्यद्वक्ता के द्वारा, शालतीएल के पुत्र जरूब्बाबेल के पास, जो यहूदा का अधिपति था, और यहोसादाक के पुत्र यहोशू महायाजक के पास पहुंचा:

सेनाओं का यहोवा यों कहता है, ये लोग कहते हैं कि यहोवा का भवन बनाने का समय नहीं आया है।

फिर यहोवा का यह वचन हाग्गै भविष्यद्वक्ता के द्वारा पहुंचा,

क्या तुम्हारे लिये अपने छत वाले घरों में रहने का समय है, जब कि यह भवन उजाड़ पड़ा है?

इसलिये अब सेनाओं का यहोवा यों कहता है, अपनी अपनी चाल-चलन पर ध्यान करो।

तुम ने बहुत बोया परन्तु थोड़ा काटा; तुम खाते हो, परन्तु पेट नहीं भरता; तुम पीते हो, परन्तु प्यास नहीं बुझती; तुम कपड़े पहिनते हो, परन्तु गरमाते नहीं; और जो मजदूरी कमाता है, वह अपनी मजदूरी की कमाई को छेदवाली थैली में रखता है॥

सेनाओ का यहोवा तुम से यों कहता हे, अपने अपने चालचलन पर सोचो।

पहाड़ पर चढ़ जाओ और लकड़ी ले आओ और इस भवन को बनाओ; और मैं उसको देखकर प्रसन्न हूंगा, और मेरी महिमा होगी, यहोवा का यही वचन है।

तुम ने बहुत उपज की आशा रखी, परन्तु देखो थेड़ी ही है; और जब तुम उसे घर ले आए, तब मैं ने उसको उड़ा दिया। सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, ऐसा क्यों हुआ? क्या इसलिये नहीं, कि मेरा भवन उजाड़ पड़ा है और तुम में से प्रत्येक अपने अपने घर को दौड़ा चला जाता है?

10 इस कारण आकाश से ओस गिरना और पृथ्वी से अन्न उपजना दोनों बन्द हैं।

11 और मेरी आज्ञा से पृथ्वी और पहाड़ों पर, और अन्न और नये दाखमधु पर और ताजे तेल पर, और जो कुछ भूमि से उपजता है उस पर, और मनुष्यों और घरैलू पशुओं पर, और उनके परिश्रम की सारी कमाई पर भी अकाल पड़ा है॥

नबी जकर्याह के ज़रिए यहोवा के पास लौटने का आह्वान

जकर्याह 1:1 दारा के राज्य के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में जकर्याह भविष्यद्वक्ता के पास जो बेरेक्याह का पुत्र और इद्दो का पोता था, यहोवा का यह वचन पहुंचा:

यहोवा तुम लोगों के पुरखाओं से बहुत ही क्रोधित हुआ था।

इसलिये तू इन लोगों से कह, सेनाओं का यहोवा यों कहता है: तुम मेरी ओर फिरो, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, तब मैं तुम्हारी ओर फिरूंगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।

अपने पुरखाओं के समान न बनो, उन से तो अगले भविष्यद्वक्ता यह पुकार पुकारकर कहते थे कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, अपने बुरे मार्गों से, और अपने बुरे कामों से फिरो; परन्तु उन्होंने न तो सुना, और न मेरी ओर ध्यान दिया, यहोवा की यही वाणी है।

तुम्हारे पुरखा कहां रहे? और भविष्यद्वक्ता क्या सदा जीवित रहते हैं?

परन्तु मेरे वचन और मेरी आज्ञाएं जिन को मैं ने अपने दास नबियों को दिया था, क्या वे तुम्हारे पुरखाओं पर पूरी न हुई? तब उन्होंने मन फिराया और कहा, सेनाओं के यहोवा ने हमारे चालचलन और कामों के अनुसार हम से जैसा व्यवहार करने को कहा था, वैसा ही उसने हम को बदला दिया है॥

नहेमायाह के माध्यम से पुनः प्रवर्तन

नहेमायाह 8:1 जब सातवां महीना निकट आया, उस समय सब इस्राएली अपने अपने नगर में थे। तब उन सब लोगों ने एक मन हो कर, जलफाटक के साम्हने के चौक में इकट्ठे हो कर, एज्रा शास्त्री से कहा, कि मूसा की जो व्यवस्था यहोवा ने इस्राएल को दी थी, उसकी पुस्तक ले आ।

तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहिले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभों के साम्हने व्यवस्था को ले आया।

और वह उसकी बातें भोर से दो पहर तक उस चौक के साम्हने जो जलफाटक के साम्हने था, क्या स्त्री, क्या पुरुष और सब समझने वालों को पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे।

एज्रा शास्त्री, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के लिये बना था, ख्ड़ा हो गयां; और उसकी दाहिनी अलंग मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिय्याह, हिल्किय्याह और मासेयाह; और बाई अलंग, पदायाह, मीशाएल, मल्किय्याह, हाशूम, हश्बद्दाना,जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए।

तब एज्रा ने जो सब लोगों से ऊंचे पर था, सभों के देखते उस पुस्तक को खोल दिया; और जब उसने उसको खोला, तब सब लोग उठ खड़े हुए।

तब एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगों ने अपने अपने हाथ उठा कर आमेन, आमेन, कहा; और सिर झुका कर अपना अपना माथा भूमि पर टेक कर यहोवा को दण्डवत किया।

और येशू, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदिय्याह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह नाम लेवीय, लोगों को व्यवस्था समझाते गए, और लोग अपने अपने स्थान पर खड़े रहे।

और उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ को समझ लिया।

तब नहेमायाह जो अधिपति था, और एज्रा जो याजक और शास्त्री था, और जो लेवीय लोगों को समझा रहे थे, उन्होंने सब लोगों से कहा, आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिये विलाप न करो और न रोओ। क्योंकि सब लोग व्यवस्था के वचन सुनकर रोते रहे।

10 फिर उसने उन से कहा, कि जा कर चिकना चिकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पियो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास बैना भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है।

11 यों लेवियों ने सब लोगों को यह कहकर चुप करा दिया, कि चुप रहो क्योंकि आज का दिन पवित्र है; और उदास मत रहो।

12 तब सब लोग खाने, पीने, बैना भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उन को समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे।

13 और दूसरे दिन को भी समस्त प्रजा के पितरों के घराने के मुख्य मुख्य पुरुष और याजक और लेवीय लोग, एज्रा शास्त्री के पास व्यवस्था के वचन ध्यान से सुनने के लिये इकट्टे हुए।

14 और उन्हें व्यवस्था में यह लिखा हुआ मिला, कि यहोवा ने मूसा से यह आज्ञा दिलाई थी, कि इस्राएली सातवें महीने के पर्व के समय झोंपडिय़ों में रहा करें,

15 और अपने सब नगरों और यरूशलेम में यह सुनाया और प्रचार किया जाए, कि पहाड़ पर जा कर जलपाई, तैलवृझ, मेंहदी, खजूर और घने घने वृक्षों की डालियां ले आकर झोंपडिय़ां बनाओ, जैसे कि लिखा है।

16 सो सब लोग बाहर जा कर डालियां ले आए, और अपने अपने घर की छत पर, और अपने आंगनों में, और परमेश्वर के भवन के आंगनों में, और जलफाटक के चौक में, और एप्रैम के फाटक के चौक में, झोंपडिय़ां बना लीं।

17 वरन सब मणडली के लोग जितने बन्धुआई से छूटकर लौट आए थे, झोंपडिय़ां बना कर उन में टिके। नून के पुत्र यहोशू के दिनों से ले कर उस दिन तक इस्राएलियों ने ऐसा नहीं किया था। और उस समय बहुत बड़ा आनन्द हुआ।

18 फिर पहिले दिन से पिछले दिन तक एज्रा ने प्रतिदिन परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में से पढ़ पढ़कर सुनाया। योंवे सात दिन तक पर्व को मानते रहे, और साठवें दिन नियम के अनुसार महासभा हुई।

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