जकर्याह और यूहन्ना की भविष्यवाणियाँ :

 
 

जकर्याह : अध्याय 3 : 

उच्च पुजारी के लिए साफ वस्त्र :

1 फिर  उसने यहोशू महायाजक को यहोवा के दूत के साम्हने खड़ा हुआ मुझे दिखाया, और शैतान उसकी दाहिनी ओर उसका विरोध करने को खड़ा था।

2 तब यहोवा ने शैतान से कहा, हे शैतान यहोवा तुझ को घुड़के! यहोवा जो यरूशलेम को अपना लेता है, वही तुझे घुड़के! क्या यह आग से निकाली हुई लुकटी सी नहीं है?

3 उस समय यहोशू तो दूत के साम्हने मैला वस्त्र पहिने हुए खड़ा था।

4 तब दूत ने उन से जो साम्हने खड़े थे कहा, इसके ये मैले वस्त्र उतारो। फिर उसने उस से कहा, देख, मैं ने तेरा अधर्म दूर किया है, और मैं तुझे सुन्दर वस्त्र पहिना देता हूं।

5 तब मैं ने कहा, इसके सिर पर एक शुद्ध पगड़ी रखी जाए। और उन्होंने उसके सिर पर याजक के योग्य शुद्ध पगड़ी रखी, और उसको वस्त्र पहिनाए; उस समय यहोवा का दूत पास खड़ा रहा॥

6 तब यहोवा के दूत ने यहोशू को चिता कर कहा,

7 सेनाओं का यहोवा तुझ से यों कहता है: यदि तू मेरे मार्गों पर चले, और जो कुछ मैं ने तुझे सौंप दिया है उसकी रक्षा करे, तो तू मेरे भवन का न्यायी, और मेरे आंगनों का रक्षक होगा; और मैं तुझ को इनके बीच में आने जाने दूंगा जो पास खड़े हैं।

8 हे यहोशू महायाजक, तू सुन ले, और तेरे भाईबन्धु जो तेरे साम्हने खड़े हैं वे भी सुनें, क्योंकि वे मनुष्य शुभ शकुन हैं: सुनो, मैं अपने दास शाख को प्रगट करूंगा।

9 उस पत्थर को देख जिसे मैं ने यहोशू के आगे रखा है, उस एक ही पत्थर के ऊपर सात आंखें बनी हैं, सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, देख मैं उस पत्थर पर खोद देता हूं, और इस देश के अधर्म को एक ही दिन में दूर कर दूंगा।

10 उसी दिन तुम अपने अपने भाईबन्धुओं को दाखलता और अंजीर के वृक्ष के नीचे आने के लिये बुलाओगे, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है॥

जकर्याह : अध्याय 4 :

सोने का दीपक और दो जैतून के पेड़ :

1 फिर जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने आकर मुझे ऐसा जगाया जैसा कोई नींद से जगाया जाए।

2 और उसने मुझ से पूछा, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, एक दीवट है, जो सम्पूर्ण सोने की है, और उसका कटोरा उसकी चोटी पर है, और उस पर उसके सात दीपक है; जिन के ऊपर बत्ती के लिये सात सात नालियां हैं।

3 और दीवट के पास जलपाई के दो वृक्ष हैं, एक उस कटोरे की दाहिनी ओर, और दूसरा उसकी बाईं ओर।

4 तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, पूछा, हे मेरे प्रभु, ये क्या हैं?

5 जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने मुझ को उत्तर दिया, क्या तू नहीं जानता कि ये क्या हैं? मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु मैं नहीं जानता।

6 तब उसने मुझे उत्तर देकर कहा, जरूब्बाबेल के लिये यहोवा का यह वचन है : न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।

7 हे बड़े पहाड़, तू क्या है? जरूब्बाबेल के साम्हने तू मैदान हो जाएगा; और वह चोटी का पत्थर यह पुकारते हुए आएगा, उस पर अनुग्रह हो, अनुग्रह!

8 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

9 जरूब्बाबेल ने अपने हाथों से इस भवन की नेव डाली है, और वही अपने हाथों से उसको तैयार भी करेगा। तब तू जानेगा कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।

10 क्योंकि किस ने छोटी बातों के दिन तुच्छ जाना है? यहोवा अपनी इन सातों आंखों से सारी पृथ्वी पर दृष्टि कर के साहुल को जरूब्बाबेल के हाथ में देखेगा, और आनन्दित होगा।

11 तब मैं ने उस से फिर पूछा, ये दो जलपाई के वृक्ष क्या हैं जो दीवट की दाहिनी-बाईं ओर हैं?

12 फिर मैं ने दूसरी बार उस से पूछा, जलपाई की दोनों डालियें क्या हैं जो सोने की दोनों नालियों के द्वारा अपने में से सोनहला तेल उण्डेलती हैं?

13 उसने मुझ से कहा, क्या तू नहीं जानता कि ये क्या हैं? मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु मैं नहीं जानता।

14 तब उसने कहा, इनका अर्थ ताजे तेल से भरे हुए वे दो पुरूष हैं जो सारी पृथ्वी के परमेश्वर के पास हाजिर रहते हैं॥

जकर्याह : अध्याय 5 :

उड़नेवाला कागज़ का मुट्ठा :

1 मैंने फिर आंखें उठाईं तो क्या देखा, कि एक लिखा हुआ पत्र उड़ रहा है।

2 दूत ने मुझ से पूछा, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, मुझे एक लिखा हुआ पत्र उड़ता हुआ देख पड़ता है, जिस की लम्बाई बीस हाथ और चौड़ाई दस हाथ की है।

3 तब उसने मुझ से कहा, यह वह शाप है जो इस सारे देश पर पड़ने वाला है; क्योंकि जो कोई चोरी करता है, वह उसकी एक ओर लिखे हुए के अनुसार मैल की नाईं निकाल दिया जाएगा; और जो कोई शपथ खाता है, वह उसकी दूसरी ओर लिखे हुए के अनुसार मैल की नाईं निकाल दिया जाएगा।

4 सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, मैं उसको ऐसा चलाऊंगा कि वह चोर के घर में और मेरे नाम की झूठी शपथ खाने वाले के घर में घुस कर ठहरेगा, और उसको लकड़ी और पत्थरों समेत नाश कर देगा॥

एक टोकरी में औरत :

5 तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने बाहर जा कर मुझ से कहा, आंखें उठा कर देख कि वह क्या वस्तु निकली जा रही है?

6 मैं ने पूछा, वह क्या है? उसने कहा? वह वस्तु जो निकली जा रही है वह एक एपा का नाप है। और उसने फिर कहा, सारे देश में लोगों का यही रूप है।

7 फिर मैं ने क्या देखा कि किक्कार भर शीशे का एक बटखरा उठाया जा रहा है, और एक स्त्री है जो एपा के बीच में बैठी है।

8 और दूत ने कहा, इसका अर्थ दुष्टता है। और उसने उस स्त्री को एपा के बीच में दबा दिया, और शीशे के उस बटखरे को ले कर उस से एपा का मुंह ढांप दिया।

9 तब मैं ने आंखें उठाईं, तो क्या देखा कि दो स्त्रियें चली जाती हैं जिन के पंख पवन में फैले हुए हैं, और उनके पंख लगलग के से हैं, और वे एपा को आकाश और पृथ्वी के बीच में उड़ाए लिए जा रही हैं।

10 तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, पूछा, कि वे एपा को कहां लिए जाती हैं?

11 उसने कहा, शिनार देश में लिए जाती हैं कि वहां उसके लिये एक भवन बनाएं; और जब वह तैयार किया जाए, तब वह एपा वहां अपने ही पाए पर खड़ा किया जाएगा॥

जकर्याह अध्याय 6 : 

चार रथ :


1 मैंने फिर आंखें उठाईं, और क्या देखा कि दो पहाड़ों के बीच से चार रथ चले आते हैं; और वे पहाड़ पीतल के हैं।

2 पहिले रथ में लाल घोड़े और दूरे रथ में काले,

3 तीसरे रथ में श्वेत और चौथे रथ में चितकबरे और बादामी घोड़े हैं।

4 तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, पूछा, हे मेरे प्रभु, ये क्या हैं?

5 दूत ने मुझ से कहा, ये आकाश के चारों वायु हैं जो सारी पृथ्वी के प्रभु के पास उपस्थित रहते हैं, परन्तु अब निकल आए हैं।

6 जिस रथ में काले घोड़े हैं, वह उत्तर देश की ओर जाता है, और श्वेत घोडे उनके पीछे पीछे चले जाते हैं, और चितकबरे घोड़े दक्खिन देश की ओर जाते हैं।

7 और बादामी घोड़ों ने निकल कर चाहा कि जा कर पृथ्वी पर फेरा करें। सो दूत ने कहा, जा कर पृथ्वी पर फेरा करो। तब वे पृथ्वी पर फेरा करने लगे।

8 तब उसने मुझ से पुकार कर कहा, देख, वे जो उत्तर के देश की ओर जाते हैं, उन्होंने वहां मेरे प्राण को ठण्डा किया है॥

यहोशू के लिए एक मुकुट 

9 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा:

10 बंधुआई के लोगों में से, हेल्दै, तोबिय्याह और यदायाह से कुछ ले और उसी दिन तू सपन्याह के पुत्र योशियाह के घर में जा जिस से वे बाबुल से आकर उतरे हैं।

11 उनके हाथ से सोना चान्दी ले, और मुकुट बनाकर उन्हें यहोसादाक के पुत्र यहोशू महायाजक के सिर पर रख;

12 और उस से यह कह, सेनाओं का यहोवा यों कहता है, उस पुरूष को देख जिस का नाम शाख है, वह अपने ही स्थान से उगकर यहोवा के मन्दिर को बनाएगा।

13 वही यहोवा के मन्दिर को बनाएगा, और महिमा पाएगा, और अपने सिंहासन पर विराजमान हो कर प्रभुता करेगा। और उसके सिंहासन के पास एक याजक भी रहेगा, और दोनों के बीच मेल की सम्मति होगी।

14 और वे मुकुट हेलेम, तोबिय्याह, यदायाह, और सपन्याह के पुत्र हेन को मिलें, और वे यहोवा के मन्दिर में स्मरण के लिये बने रहें॥

15 फिर दूर दूर के लोग आ आकर यहोवा के मन्दिर बनाने में सहायता करेंगे, और तुम जानोगे कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। और यदि तुम मन लगाकर अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करो तो यह बात पूरी होगी॥

जकर्याह अध्याय 7

न्याय और दया, उपवास नहीं :

1 फिर दारा राजा के चौथे वर्ष में किसलेव नाम नौवें महीने के चौथे दिन को, यहोवा का वचन जकर्याह के पास पहुंचा।

2 बेतेलवासियों ने शरेसेर और रेगेम्मेलेक को इसलिये भेजा था कि यहोवा से बिनती करें,

3 और सेनाओं के यहोवा के भवन के याजकों से और भविष्यद्वक्ताओं से भी यह पूछें, क्या हमें उपवास कर के रोना चाहिये जैसे कि कितने वर्षों से हम पांचवें महीने में करते आए हैं?

4 तब सेनाओं के यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा;

5 सब साधारण लोगों से और याजकों से कह, कि जब तुम इन सत्तर वर्षों के बीच पांचवें और सातवें महीनों में उपवास और विलाप करते थे, तब क्या तुम सचमुच मेरे ही लिये उपवास करते थे?

6 और जब तुम खाते-पीते हो, तो क्या तुम अपने ही लिये नहीं खाते, और क्या तुम अपने ही लिये नहीं पीते हो?

7 क्या यह वही वचन नहीं है, जो यहोवा अगले भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा उस समय पुकार कर कहता रहा जब यरूशलेम अपने चारों ओर के नगरों समेत चैन से बसा हुआ था, और दक्खिन देश और नीचे का देश भी बसा हुआ था?

8 फिर यहोवा का यह वचन जकर्याह के पास पहुंचा, सेनाओं के यहोवा ने यों कहा है,

9 खराई से न्याय चुकाना, और एक दूसरे के साथ कृपा और दया से काम करना,

10 न तो विधवा पर अन्धेर करना, न अनाथों पर, न परदेशी पर, और न दीन जन पर ; और न अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना।

11 परन्तु उन्होंने चित्त लगाना न चाहा, और हठ किया, और अपने कानों को मूंद लिया ताकि सुन न सकें।

12 वरन उन्होंने अपने हृदय को इसलिये बज्र सा बना लिया, कि वे उस व्यवस्था और उस वचनों को न मान सकें जिन्हें सेनाओं के यहोवा ने अपने आत्मा के द्वारा अगले भविष्यद्वक्ताओं से कहला भेजा था। इस कारण सेनाओं के यहोवा की ओर से उन पर बड़ा क्रोध भड़का।

13 और सेनाओं के यहोवा का यह वचन हुआ, कि जैसे मेरे पुकारने पर उन्होंने नहीं सुना, वैसे ही उसके पुकारने पर मैं भी न सुनूंगा;

14 वरन मैं उन्हें उन सब जातियों के बीच जिन्हें वे नहीं जानते, आंधी के द्वारा तितर-बितर कर दूंगा, और उनका देश उनके पीछे ऐसा उजाड़ पड़ा रहेगा कि उस में किसी का आना जाना न होगा; इसी प्रकार से उन्होंने मनोहर देश को उजाड़ कर दिया॥

जकर्याह अध्याय 8

यहोवा यरूशलेम को आशीर्वाद देने का वादा करता है :

 

1 फिर सेनाओं के यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2 सेनाओं का यहोवा यों कहता है: सिय्योन के लिये मुझे बड़ी जलन हुई वरन बहुत ही जलजलाहट मुझ में उत्पन्न हुई है।

3 यहोवा यों कहता है, मैं सिय्योन में लौट आया हूं, और यरूशेलम के बीच में वास किए रहूंगा, और यरूशलेम की सच्चाई का नगर कहलाएगा, और सेनाओं के यहोवा का पर्वत, पवित्र पर्वत कहलाएगा।

4 सेनाओं का यहोवा यों कहता है, यरूशलेम के चौकों में फिर बूढ़े और बूढिय़ां बहुत आयु की होने के कारण, अपने अपने हाथ में लाठी लिए हुए बैठा करेंगी।

5 और नगर में चौक खेलने वाले लड़कों और लड़कियों से भरे रहेंगे।

6 सेनाओं का यहोवा यों कहता है, चाहे उन दिनों में यह बात इन बचे हुओं की दृष्टि में अनोखी ठहरे, परन्तु क्या मेरी दृष्टि में भी यह अनोखी ठहरेगी, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है?

7 सेनाओं का यहोवा यों कहता है, देखो, मैं अपनी प्रजा का उद्धार कर के उसे पूरब से और पच्छिम से ले आऊंगा;

8 और मैं उन्हें ले आकर यरूशलेम के बीच में बसाऊंगा; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, यह तो सच्चाई और धर्म के साथ होगा॥

9 सेनाओं का यहोवा यों कहता है, तुम इन दिनों में ये वचन उन भविष्यद्वक्ताओं के मुख से सुनते हो जो सेनाओं के यहोवा के भवन की नेव डालने के समय अर्थात मन्दिर के बनने के समय में थे।

10 उन दिनों के पहिले, न तो मनुष्य की मजदूरी मिलती थी और न पशु का भाड़ा, वरन सताने वालों के कारण न तो आने वाले को चैन मिलता था और न जाने वाले को ; क्योंकि मैं सब मनुष्यों से एक दूसरे पर चढ़ाई कराता था।

11 परन्तु अब मैं इस प्रजा के बचे हुओं से ऐसा बर्ताव न करूंगा जैसा कि अगले दिनों में करता था, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।

12 क्योंकि अब शान्ति के समय की उपज अर्थात दाखलता फला करेंगी, पृथ्वी अपनी उपज उपजाया करेगी, और आकाश से ओस गिरा करेगी; क्योंकि मैं अपनी इस प्रजा के बचे हुओं को इन सब का अधिकारी कर दूंगा।

13 और हे यहूदा के घराने, और इस्राएल के घराने, जिस प्रकार तुम अन्यजातियों के बीच शाप के कारण थे उसी प्रकार मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा, और तुम आशीष के कारण होगे। इसलिये तुम मत डरो, और न तुम्हारे हाथ ढीले पड़ने पाएं॥

14 क्योंकि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, जिस प्रकार जब तुम्हारे पुरखा मुझे रिस दिलाते थे, तब मैं ने उनकी हानि करने के लिये ठान लिया था और फिर न पछताया,

15 उसी प्रकार मैं ने इन दिनों में यरूशलेम की और यहूदा के घराने की भलाई करने को ठाना है; इसलिये तुम मत डरो।

16 जो जो काम तुम्हें करना चाहिये, वे ये हैं : एक दूसरे के साथ सत्य बोला करना, अपनी कचहरियों में सच्चाई का और मेल-मिलाप की नीति का न्याय करना,

17 और अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना न करना, और झूठी शपथ से प्रीति न रखना, क्योंकि इन सब कामों से मैं घृणा करता हूं, यहोवा की यही वाणी है॥

18 फिर सेनाओं के यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

19 सेनाओं का यहोवा यों कहता है: चौथे, पांचवें, सातवें और दसवें महीने में जो जो उपवास के दिन होते हैं, वे यहूदा के घराने के लिये हर्ष और आनन्द और उत्सव के पर्वों के दिन हो जाएगें; इसलिये अब तुम सच्चाई और मेल-मिलाप से प्रीति रखो॥

20 सेनाओं का यहोवा यों कहता है, ऐसा समय आने वाला है कि देश देश के लोग और बहुत नगरों के रहने वाले आएंगे।

21 और एक नगर के रहने वाले दूसरे नगर के रहने वालों के पास जा कर कहेंगे, यहोवा से बिनती करने और सेनाओं के यहोवा को ढूंढ़ने के लिये चलो; मैं भी चलूंगा।

22 बहुत से देशों के वरन सामर्थी जातियों के लोग यरूशलेम में सेनाओं के यहोवा को ढूंढ़ने और यहोवा से बिनती करने के लिये आएंगे।

23 सेनाओं का यहोवा यों कहता है : उस दिनों में भांति भांति की भाषा बोलने वाली सब जातियों में से दस मनुष्य, एक यहूदी पुरूष के वस्त्र की छोर को यह कहकर पकड़ लेंगे, कि, हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साथ है॥

जकर्याह अध्याय 9

इस्राएल के दुश्मनों पर निर्णय :


1 हद्राक देश के विषय में यहोवा का कहा हुआ भारी वचन जो दमिश्क पर भी पड़ेगा। क्योंकि यहोवा की दृष्टि मनुष्य जाति की, और इस्राएल के सब गोत्रों की ओर लगी है;

2 हमात की ओर जो दमिश्क के निकट है, और सोर और सीदोन की ओर, ये तो बहुत ही बुद्धिमान् हैं।

3 सोर ने अपने लिये एक गढ़ बनाया, और धूलि के किनकों की नाईं चान्दी, और सड़कों की कीच के समान चोखा सोना बटोर रखा है।

4 देखो, परमेश्वर उसको औरों के अधिकार में कर देगा, और उसके घमण्ड को तोड़ कर समुद्र में डाल देगा; और वह नगर आग का कौर हो जाएगा॥

5 यह देख कर अशकलोन डरेगा; अज्जा को दुख होगा, और एक्रोन भी डरेगा, क्योंकि उसकी आशा टूटेगी; और अज्जा में फिर राजा न रहेगा और अश्कलोन फिर बसी न रहेगी।

6 और अश्दोद में अनजाने लोग बसेंगे; इसी प्रकार मैं पलिश्तियों के गर्व को तोडूंगा।

7 मैं उसके मुंह में से आहेर का लोहू और घिनौनी वस्तुएं निकाल दूंगा, तब उन में से जो बचा रहेगा, वह हमारे परमेश्वर का जन होगा, और यहूदा में अधिपति सा होगा; और एक्रोन के लोग यबूसियों के समान बनेंगे।

8 तब मैं उस सेना के कारण जो पास से हो कर जाएगी और फिर लौट आएगी, अपने भवन के आस पास छावनी किए रहूंगा, और कोई सताने वाला फिर उनके पास से हो कर न जाएगा, क्योंकि मैं ये बातें अब भी देखता हूं॥

सिय्योन के राजा का आगमन :

9 हे सिय्योन बहुत ही मगन हो। हे यरूशलेम जयजयकार कर! क्योंकि तेरा राजा तेरे पास आएगा; वह धर्मी और उद्धार पाया हुआ है, वह दीन है, और गदहे पर वरन गदही के बच्चे पर चढ़ा हुआ आएगा।

10 मैं एप्रैम के रथ और यरूशलेम के घोड़े नाश करूंगा; और युद्ध के धनुष तोड़ डाले जाएंगे, और वह अन्यजातियों से शान्ति की बातें कहेगा; वह समुद्र से समुद्र तक और महानद से पृथ्वी के दूर दूर के देशों तक प्रभुता करेगा॥

11 और तू भी सुन, क्योंकि मेरी वाचा के लोहू के कारण, मैं ने तेरे बन्दियों को बिना जल के गड़हे में से उबार लिया है।

12 हे आशा धरे हुए बन्दियों! गढ़ की ओर फिरो; मैं आज ही बताता हूं कि मैं तुम को बदले में दूना सुख दूंगा।

13 क्योंकि मैं ने धनुष की नाईं यहूदा को चढ़ा कर उस पर तीर की नाईं एप्रैम को लगाया है। मैं सिय्योन के निवासियों यूनान के निवासियों के विरुद्ध उभारूंगा, और उन्हें वीर की तलवार सा कर दूंगा।

यहोवा इच्छा प्रकट करेगा : 

14 तब यहोवा उनके ऊपर दिखाई देगा, और उसका तीर बिजली की नाईं छूटेगा; और परमेश्वर यहोवा नरसिंगा फूंक कर दक्खिन देश की सी आंधी में होके चलेगा।

15 सेनाओं का यहोवा ढाल से उन्हें बचाएगा, और वे अपने शत्रुओं का नाश करेंगे, और उनके गोफन के पत्थरों पर पांव धरेंगे; और वे पीकर ऐसा कोलाहल करेंगे जैसा लोग दाखमधु पीकर करते हैं; और वे कटोरे की नाईं वा वेदी के कोने की नाईं भरे जाएगें॥

16 उस समय उनका परमेश्वर यहोवा उन को अपनी प्रजा रूपी भेड़-बकरियां जान कर उनका उद्धार करेगा; और वे मुकुटमणि ठहर के, उसकी भूमि से बहुत ऊंचे पर चमकते रहेंगे।

17 उसका क्या ही कुशल, और क्या ही शोभा उसकी होगी! उसके जवान लोग अन्न खाकर, और कुमारियां नया दाखमधु पीकर हृष्टपुष्ट हो जाएंगी॥

जकर्याह अध्याय 10

यहोवा यहूदा की देखभाल करेगा :
 
 

1 बरसात के अन्त में यहोवा से वर्षा मांगो, यहोवा से जो बिजली चमकाता है, और वह उन को वर्षा देगा और हर एक के खेत में हरियाली उपजाएगा।

2 क्योंकि गृहदेवता अनर्थ बात कहते और भावी कहने वाले झूठा दर्शन देखते और झूठे स्वपन सुनाते, और व्यर्थ शान्ति देते हैं। इस कारण लोग भेड़-बकरियों की नाईं भटक गए; और चरवाहे न होने के कारण दुर्दशा में पड़े हैं॥

3 मेरा क्रोध चरवाहों पर भड़का है, और मैं उन बकरों को दण्ड दूंगा; क्योंकि सेनाओं का यहोवा अपने झुण्ड अर्थात यहूदा के घराने का हाल देखने का आएगा, और लड़ाई में उन को अपना हृष्टपुष्ट घोड़ा सा बनाएगा।

4 उसी में से कोने का पत्थर, उसी में से खूंटी, उसी में से युद्ध का धनुष, उसी में से सब प्रधान प्रगट होंगे।

5 और वे ऐसे वीरों के समान होंगे जो लड़ाई में अपने बैरियों को सड़कों के कीच की नाईं रौंदते हों; वे लड़ेंगे, क्योंकि यहोवा उनके संग रहेगा, इस कारण वे वीरता से लड़ेंगे और सवारों की आशा टूटेगी॥

6 मैं यहूदा के घराने को पराक्रमी करूंगा, और यूसुफ के घराने का उद्धार करूंगा। और मुझे उन पर दया आई है, इस कारण मैं उन्हें लौटा लाकर उन्हीं के देश में बसाऊंगा, और वे ऐसे होंगे, मानों मैं ने उन को मन से नहीं उतारा; मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूं, इसलिये उनकी सुन लूंगा।

7 एप्रैमी लोग वीर के समान होंगे, और उनका मन ऐसा आनन्दित होगा जैसे दाखमधु से होता है। यह देख कर उनके लड़केबाले आनन्द करेंगे और उनका मन यहोवा के कारण मगन होगा॥

8 मैं सीटी बजाकर उन को इकट्ठा करूंगा, क्योंकि मैं उनका छुड़ाने वाला हूं, और वे ऐसे बढ़ेंगे जैसे पहले बढ़े थे।

9 यद्यपि मैं उन्हें जाति-जाति के लोगों के बीच छितराऊंगा तौभी वे दूर दूर देशों में मुझे स्मरण करेंगे, और अपने बालकों समेत जीवित लौट आएंगे।

10 मैं उन्हें मिस्र देश से लौटा लाऊंगा, और अश्शूर से इकट्ठा करूंगा, और गिलाद और लबानोन के देशों में ले आकर इतना बढ़ाऊंगा कि वहां उनकी समाई न होगी।

11 वह उस कष्टदाई समुद्र में से हो कर उसकी लहरें दबाता हुआ जाएगा और नील नदी का सब गहिरा जल सूख जाएगा। और अश्शूर का घमण्ड तोड़ा जाएगा और मिस्र का राजदण्ड जाता रहेगा।

12 मैं उन्हें यहोवा द्वारा पराक्रमी करूंगा, और वे उसके नाम से चलें फिरेंगे, यहोवा की यही वाणी है॥
 

जकर्याह अध्याय 11 :


1 हेलबानोन, आग को रास्ता दे कि वह आकर तेरे देवदारों को भस्म करे!

2 हे सनौबरों, हाय, हाय, करो! क्योंकि देवदार गिर गया है और बड़े से बड़े वृक्ष नाश हो गए हैं! हे बाशा के बांज वृक्षों, हाय, हाय, करो! क्योंकि अगम्य वन काटा गया है!

3 चरवाहों के हाहाकार का शब्द हो रहा है, क्योंकि उनका वैभव नाश हो गया है! जवान सिंहों का गरजना सुनाईं देता है, क्योंकि यरदन के तीर का घना वन नाश किया गया है!

दो चरवाहे :

4 मेरे परमेश्वर यहोवा ने यह आज्ञा दी: घात होने वाली भेड़-बकरियों का चरवाहा हो जा।

5 उनके मोल लेने वाले उन्हें घात करने पर भी अपने को दोषी नहीं जानते, और उनके बेचने वाले कहते हैं, यहोवा धन्य है, हम धनी हो गए हैं; और उनके चरवाहे उन पर कुछ दया नहीं करते।

6 यहोवा की यह वाणी है, मैं इस देश के रहने वालों पर फिर दया न करूंगा। देखो, मैं मनुष्यों को एक दूसरे के हाथ में, और उनके राजा के हाथ में पकड़वा दूंगा; और वे इस देश को नाश करेंगे, और मैं उसके रहने वालों को उनके वश से न छुड़ाऊंगा॥

7 सो मैं घात होने वाली भेड़-बकरियों को और विशेष कर के उन में से जो दीन थीं उन को चराने लगा। और मैं ने दो लाठियां लीं; एक का नाम मैं ने अनुग्रह रखा, और दूसरी का नाम एकता। इन को लिये हुए मैं उन भेड़-बकरियों को चराने लगा।

8 और मैं ने उनके तीनों चरवाहों को एक महीने में नाश कर दिया, परन्तु मैं उनके कारण अधीर था, और वे मुझे से घृणा करती थीं।

9 तब मैं ने उन से कहा, मैं तुम को न चराऊंगा। तुम में से जो मरे वह मरे, और जो नाश हो वह नाश हो, और जो बची रहें वे एक दूसरे का मांस खाएं।

10 और मैं ने अपनी वह लाठी तोड़ डाली, जिसका नाम अनुग्रह था, कि जो वाचा मैं ने सब अन्यजातियों के साथ बान्धी थी उसे तोडूं।

11 वह उसी दिन तोड़ी गई, और इस से दीन भेड़-बकरियां जो मुझे ताकती थीं, उन्होंने जान लिया कि यह यहोवा का वचन है।

12 तब मैं ने उन से कहा, यदि तुम को अच्छा लगे तो मेरी मजदूरी दो, और नहीं तो मत दो। तब उन्होंने मेरी मजदूरी में चान्दी के तीस टुकड़े तौल दिए।

13 तब यहोवा ने मुझ से कहा, इन्हें कुम्हार के आगे फेंक दे, यह क्या ही भारी दाम है जो उन्होंने मेरा ठहराया है? तब मैं ने चान्दी के उन तीस टुकड़ों को ले कर यहोवा के घर में कुम्हार के आगे फेंक दिया।

14 तब मैं ने अपनी दूसरी लाठी जिस का नाम एकता था, इसलिये तोड़ डाली कि मैं उस भाईचारे के नाते को तोड़ डालूं जो यहूदा और इस्राएल के बीच में है॥

15 तब यहोवा ने मुझ से कहा, अब तू मूढ़ चरवाहे के हथियार ले ले।

16 क्योंकि मैं इस देश में एक ऐसा चरवाहा ठहराऊंगा, जो खोई हुई को न ढूंढेगा, न तितर-बितर को इकट्ठी करेगा, न घायलों को चंगा करेगा, न जो भली चंगी हैं उनका पालन-पोषण करेगा, वरन मोटियों का मांस खाएगा और उनके खुरों को फाड़ डालेगा।

17 हाय उस निकम्मे चरवाहे पर जो भेड़-बकरियों को छोड़ जाता है! उसकी बांह, और दाहिनी आंख दोनों पर तलवार लगेगी, तब उसकी बांह सूख जाएगी और उसकी दाहिनी आंख फूट जाएगी॥

जकर्याह अध्याय 12 

जेरूसलम के दुश्मन नष्ट हो गए :

 

1 इस्राएल के विषय में यहोवा का कहा हुआ भारी वचन: यहोवा को आकाश का तानने वाला, पृथ्वी की नेव डालने वाला और मनुष्य की आत्मा का रचने वाला है, उसकी यह वाणी है,

2 देखो, मैं यरूशलेम को चारों ओर की सब जातियों के लिये लड़खड़ा देने के मद का कटोरा ठहरा दूंगा; और जब यरूशलेम घेर लिया जाएगा तब यहूदा की दशा भी ऐसी ही होगी।

3 और उस समय पृथ्वी की सारी जातियां यरूशलेम के विरुद्ध इकट्ठी होंगी, तब मैं उसको इतना भारी पत्थर बनाऊंगा, कि जो उसको उठाएंगे वे बहुत ही घायल होंगे।

4 यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं हर एक घोड़े को घबरा दूंगा, और उसके सवार को घायल करूंगा। परन्तु मैं यहूदा के घराने पर कृपादृष्टि रखूंगा, जब मैं अन्यजातियों के सब घोड़ों को अन्धा कर डालूंगा।

5 तब यहूदा के अधिपति सोचेंगे कि यरूशलेम के निवासी अपने परमेश्वर, सेनाओं के यहोवा की सहायता से मेरे सहायक बनेंगे॥

6 उस समय मैं यहूदा के अधिपतियों को ऐसा कर दूंगा, जैसी लकड़ी के ढेर में आग भरी अंगेठी वा पूले में जलती हुई मशाल होती है, अर्थात वे दाहिने बांए चारों ओर के सब लोगों को भस्म कर डालेंगे; और यरूशलेम जहां अब बसी है, वहीं बसी रहेगी, यरूशलेम में॥

7 और हे यहोवा पहिले यहूदा के तम्बुओं का उद्धार करेगा, कहीं ऐसा न हो कि दाऊद का घराना और यरूशलेम के निवासी अपने अपने वैभव के कारण यहूदा के विरुद्ध बड़ाई मारें।

8 उस समय यहोवा यरूशलेम के निवासियों मानो ढाल से बचा लेगा, और उस समय उन में से जो ठोकर खाने वाला हो वह दाऊद के समान होगा; और दाऊद का घराना परमेश्वर के समान होगा, अर्थात यहोवा के उस दूत के समान जो उनके आगे आगे चलता था।

9 और उस समय मैं उन सब जातियों को नाश करने का यत्न करूंगा जो यरूशलेम पर चढ़ाई करेंगी॥

एक वे शोक के लिए शोक :

 

10 और मैं दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों पर अपना अनुग्रह करने वाली और प्रार्थना सिखाने वाली आत्मा उण्डेलूंगा, तब वे मुझे ताकेंगे अर्थात जिसे उन्होंने बेधा है, और उसके लिये ऐसे रोएंगे जैसे एकलौते पुत्र के लिये रोते-पीटते हैं, और ऐसा भारी शोक करेंगे, जैसा पहिलौठे के लिये करते हैं।

11 उस समय यरूशलेम में इतना रोना-पीटना होगा जैसा मगिद्दोन की तराई में हदद्रिम्मोन में हुआ था।

12 सारे देश में विलाप होगा, हर एक परिवार में अलग अलग; अर्थात दाऊद के घराने का परिवार अलग, और उनकी स्त्रियां अलग; नातान के घराने का परिवार अलग, और उनकी स्त्रियां अलग;

13 लेवी के घराने का परिवार अलग और उनकी स्त्रियां अलग; शिमियों का परिवार अलग; और उनकी स्त्रियां अलग;

14 और जितने परिवार रह गए हों हर एक परिवार अलग और उनकी स्त्रियां भी अलग अलग;

जकर्याह अध्याय 13  

पाप से सफाई :


1 उसी समय दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों के लिये पाप और मलिनता धोने के निमित्त एक बहता हुआ सोता होगा॥

2 और सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, कि उस समय मैं इस देश मे से मूर्तों के नाम मिटा डालूंगा, और वे फिर स्मरण में न रहेंगी; और मैं भविष्यद्वक्ताओं और अशुद्ध आत्मा को इस देश में से निकाल दूंगा।

3 और यदि कोई फिर भविष्यद्वाणी करे, तो उसके माता-पिता, जिन से वह उत्पन्न हुआ, उस से कहेंगे, तू जीवित न बचेगा, क्योंकि तू ने यहोवा के नाम से झूठ कहा है; सो जब वह भविष्यद्वाणी करे, तब उसके माता-पिता जिन से वह उत्पन्न हुआ उसको बेध डालेंगे।

4 उस समय हर एक भविष्यद्वक्ता भविष्यवाणी करते हुए अपने अपने दर्शन से लज्जित होंगे, और धोखा देने के लिये कम्बल का वस्त्र न पहिनेंगे,

5 वरन्तु वह कहेगा, मैं भविष्यद्वक्ता नहीं, किसान हूं; क्योंकि लड़कपन ही से मैं औरों का दास हूं।

6 तब उस से यह पूछा जाएगा, तेरी छाती पर ये घाव कैसे हुए, तब वह कहेगा, ये वे ही हैं जो मेरे प्रेमियों के घर में मुझे लगे हैं॥

चरवाहा मारा गया, भेड़ बिखरे हुए :

7 सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, हे तलवार, मेरे ठहराए हुए चरवाहे के विरुद्ध अर्थात जो पुरूष मेरा स्वजाति है, उसके विरुद्ध चल। तू उस चरवाहे को काट, तब भेड़-बकरियां तितर-बितर हो जाएंगी; और बच्चों पर मैं अपने हाथ बढ़ाऊंगा।

8 यहोवा की यह भी वाणी है, कि इस देश के सारे निवासियों की दो तिहाई मार डाली जाएगी और बची हुई तिहाई उस में बनी रहेगी।

9 उस तिहाई को मैं आग में डाल कर ऐसा निर्मल करूंगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाचूंगा जैसा सोना जांचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूंगा। मैं उनके विषय में कहूंगा, ये मेरी प्रजा हैं, और वे मेरे विषय में कहेंगे, यहोवा हमारा परमेश्वर है॥
  

जकर्याह अध्याय 14 : 

यहोवा आता है और राज्य करता है :


1 सुनो, यहोवा का एक ऐसा दिन आने वाला है जिस में तेरा धन लूट कर तेरे बीच में बांट लिया जाएगा।

2 क्योंकि मैं सब जातियों को यरूशलेम से लड़ने के लिये इकट्ठा करूंगा, और वह नगर ले लिया नगर। और घर लूटे जाएंगे और स्त्रियां भ्रष्ट की जाएंगी; नगर के आधे लोग बंधुवाई में जाएंगे, परन्तु प्रजा के शेष लोग नगर ही में रहने पाएंगे।

3 तब यहोवा निकल कर उन जातियों से ऐसा लड़ेगा जैसा वह संग्राम के दिन में लड़ा था।

4 और उस समय वह जलपाई के पर्वत पर पांव धरेगा, जो पूरब ओर यरूशलेम के साम्हने है; तब जलपाई का पर्वत पूरब से ले कर पच्छिम तक बीचों-बीच से फटकर बहुत बड़ा खड्ड हो जाएगा; तब आधा पर्वत उत्तर की ओर और आधा दक्खिन की ओर हट जाएगा।

5 तब तुम मेरे बनाए हुए उस खड्ड से होकर भाग जाओगे, क्योंकि वह खड्ड आसेल तक पहुंचेगा, वरन तुम ऐसे भागोगे जैसे उस भुईंडोल के डर से भागे थे जो यहूदा के राजा उज्जियाह के दिनों में हुआ था। तब मेरा परमेश्वर यहोवा आएगा, और सब पवित्र लोग उसके साथ होंगे॥

6 उस समय कुछ उजियाला न रहेगा, क्योंकि ज्योतिगण सिमट जाएंगे।

7 और लगातार एक ही दिन होगा जिसे यहोवा ही जानता है, न तो दिन होगा, और न रात होगी, परन्तु सांझ के समय उजियाला होगा॥

8 उस समय यरूशलेम से बहता हुआ जल फूट निकलेगा उसकी एक शाखा पूरब के ताल और दूसरी पच्छिम के समुद्र की ओर बहेगी, और धूप के दिनों में और जाड़े के दिनों में भी बराबर बहती रहेंगी॥

9 तब यहोवा सारी पृथ्वी का राजा होगा; और उस समय एक ही यहोवा और उसका नाम भी एक ही माना जाएगा॥

10 गेबा से ले कर यरूशलेम की दक्खिन ओर के रिम्मोन तक सब भूमि अराबा के समान हो जाएगी। परन्तु वह ऊंची हो कर बिन्यामीन के फाटक से ले कर पहिले फाटक के स्थान तक, और कोने वाले फाटक तक, और हननेल के गुम्मट से ले कर राजा के दाखरस कुण्ड़ों तक अपने स्थान में बसेगी।

11 और लोग उस में बसेंगे क्योंकि फिर सत्यानाश का शाप न होगा; और यरूशलेम बेखटके बसी रहेगी।

12 और जितनी जातियों ने यरूशलेम से युद्ध किया है उन सभों को यहोवा ऐसी मार से मारेगा, कि खड़े खड़े उनका मांस सड़ जाएगा, और उनकी आंखें अपने गोलकों में सड़ जाएंगीं, और उनकी जीभ उनके मुंह में सड़ जाएगी।

13 और उस समय यहोवा की ओर से उन में बड़ी घबराहट पैठेगी, और वे एक दूसरे के हाथ को पकड़ेंगे, और एक दूसरे पर अपने अपने हाथ उठाएंगे।

14 यहूदा भी यरूशलेम में लड़ेगा, और सोना, चान्दी, वस्त्र आदि चारों ओर की सब जातियों की धन सम्पत्ति उस में बटोरी जाएगी।

15 और घोड़े, खच्चर, ऊंट और गदहे वरन जितने पशु उनकी छावनियों में होंगे वे भी ऐसी ही बीमारी से मारे जाएंगे॥

16 तब जितने लोग यरूशलेम पर चढ़ने वाली सब जातियों में से बचे रहेंगे, वे प्रति वर्ष राजा को अर्थात सेनाओं के यहोवा को दण्डवत करने, और झोंपडिय़ों का पर्व मानने के लिये यरूशलेम को जाया करेंगे।

17 और पृथ्वी के कुलों में से जो लोग यरूशलेम में राजा, अर्थात सेनाओं के यहोवा को दण्डवत करने के लिये न जाएंगे, उनके यहां वर्षा न होगी।

18 और यदि मिस्र का कुल वहां न आए, तो क्या उन पर वह मरी न पड़ेगी जिस से यहोवा उन जातियों को मारेगा जो झोंपडिय़ों का पर्व मानने के लिये न जाएंगे?

19 यह मिस्र का और उन सब जातियों का पाप ठहरेगा, जो झोंपडिय़ों का पर्व मानने के लिये न जाएंगे।

20 उस समय घोड़ों की घंटियों पर भी यह लिखा रहेगा, यहोवा के लिये पवित्र। और यहोवा के भवन कि हंडिय़ां उन कटोरों के तुल्य पवित्र ठहरेंगी, जो वेदी के साम्हने रहते हैं।

21 वरन यरूशलेम में और यहूदा देश में सब हंडिय़ां सेनाओं के यहोवा के लिये पवित्र ठहरेंगी, और सब मेलबलि करने वाले आ आकर उन हंडियों में मांस सिझाया करेंगे। और सब सेनाओं के यहोवा के भवन में फिर कोई व्योपारी न पाया जाएगा॥
  

प्रकाशित वाक्य : अध्याय 4 :

स्वर्ग में सिंहासन :


 
1 इन बातों के बाद जो मैं ने दृष्टि की, तो क्या देखता हूं कि स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है; और जिस को मैं ने पहिले तुरही के से शब्द से अपने साथ बातें करते सुना था, वही कहता है, कि यहां ऊपर आ जा: और मैं वे बातें तुझे दिखाऊंगा, जिन का इन बातों के बाद पूरा होना अवश्य है।

2 और तुरन्त मैं आत्मा में आ गया; और क्या देखता हूं, कि एक सिंहासन स्वर्ग में धरा है, और उस सिंहासन पर कोई बैठा है।

3 और जो उस पर बैठा है, वह यशब और मानिक सा दिखाई पड़ता है, और उस सिंहासन के चारों ओर मरकत सा एक मेघधनुष दिखाई देता है।

4 और उस सिंहासन के चारों ओर चौबीस सिंहासन है; और इन सिंहासनों पर चौबीस प्राचीन श्वेत वस्त्र पहिने हुए बैठें हैं, और उन के सिरों पर सोने के मुकुट हैं।

5 और उस सिंहासन में से बिजलियां और गर्जन निकलते हैं और सिंहासन के साम्हने आग के सात दीपक जल रहे हैं, ये परमेश्वर की सात आत्माएं हैं।

6 और उस सिंहासन के साम्हने मानो बिल्लौर के समान कांच का सा समुद्र है, और सिंहासन के बीच में और सिंहासन के चारों ओर चार प्राणी हैं, जिन के आगे पीछे आंखे ही आंखे हैं।

7 पहिला प्राणी सिंह के समान है, और दूसरा प्राणी का मुंह बछड़े के समान है, तीसरे प्राणी का मुंह मनुष्य का सा है, और चौथा प्राणी उड़ते हुए उकाब के समान है।

8 और चारों प्राणियों के छ: छ: पंख हैं, और चारों ओर, और भीतर आंखे ही आंखे हैं; और वे रात दिन बिना विश्राम लिए यह कहते रहते हैं, कि पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, जो था, और जो है, और जो आने वाला है।

9 और जब वे प्राणी उस की जो सिंहासन पर बैठा है, और जो युगानुयुग जीवता है, महिमा और आदर और धन्यवाद करेंगे।

10 तब चौबीसों प्राचीन सिंहासन पर बैठने वाले के साम्हने गिर पड़ेंगे, और उसे जो युगानुयुग जीवता है प्रणाम करेंगे; और अपने अपने मुकुट सिंहासन के साम्हने यह कहते हुए डाल देंगे।

11 कि हे हमारे प्रभु, और परमेश्वर, तू ही महिमा, और आदर, और सामर्थ के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं॥

प्रकाशित वाक्य : अध्याय 5 :

लिपटे हुए कागज़ का मुट्ठा और मेम्ने :


1 और जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी, जो भीतर और बाहर लिखी हुई भी, और वह सात मुहर लगा कर बन्द की गई थी।

2 फिर मैं ने एक बलवन्त स्वर्गदूत को देखा जो ऊंचे शब्द से यह प्रचार करता था कि इस पुस्तक के खोलने और उस की मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?

3 और न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्तक को खोलने या उस पर दृष्टि डालने के योग्य निकला।

4 और मैं फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि उस पुस्तक के खोलने, या उस पर दृष्टि करने के योग्य कोई न मिला।

5 तब उन प्राचीनों में से एक ने मुझे से कहा, मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है।

6 और मैं ने उस सिंहासन और चारों प्राणियों और उन प्राचीनों के बीच में, मानों एक वध किया हुआ मेम्ना खड़ा देखा: उसके सात सींग और सात आंखे थीं; ये परमेश्वर की सातों आत्माएं हैं, जो सारी पृथ्वी पर भेजी गई हैं।

7 उस ने आ कर उसके दाहिने हाथ से जो सिंहासन पर बैठा था, वह पुस्तक ले ली,

8 और जब उस ने पुस्तक ले ली, तो वे चारों प्राणी और चौबीसों प्राचीन उस मेम्ने के साम्हने गिर पड़े; और हर एक के हाथ में वीणा और धूप से भरे हुए सोने के कटोरे थे, ये तो पवित्र लोगों की प्रार्थनाएं हैं।

9 और वे यह नया गीत गाने लगे, कि तू इस पुस्तक के लेने, और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तू ने वध हो कर अपने लोहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है।

10 और उन्हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया; और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।

11 और जब मै ने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों के चारों ओर बहुत से स्वर्गदूतों का शब्द सुना, जिन की गिनती लाखों और करोड़ों की थी।

12 और वे ऊंचे शब्द से कहते थे, कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है।

13 फिर मैं ने स्वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे।

14 और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिरकर दण्डवत् किया॥

प्रकाशित वाक्य : अध्याय 6 :  

मुहरों :

 

1 फिर मैं ने देखा, कि मेम्ने ने उन सात मुहरों में से एक को खोला; और उन चारों प्राणियों में से एक का गर्जन का सा शब्द सुना, कि आ।

2 और मैं ने दृष्टि की, और देखो, एक श्वेत घोड़ा है, और उसका सवार धनुष लिए हुए है: और उसे एक मुकुट दिया गया, और वह जय करता हुआ निकला कि और भी जय प्राप्त करे॥

3 और जब उस ने दूसरी मुहर खोली, तो मैं ने दूसरे प्राणी को यह कहते सुना, कि आ।

4 फिर एक और घोड़ा निकला, जो लाल रंग का था; उसके सवार को यह अधिकार दिया गया, कि पृथ्वी पर से मेल उठा ले, ताकि लोग एक दूसरे को वध करें; और उसे एक बड़ी तलवार दी गई॥

5 और जब उस ने तीसरी मुहर खोली, तो मैं ने तीसरे प्राणी को यह कहते सुना, कि आ: और मैं ने दृष्टि की, और देखो, एक काला घोड़ा है;

6 और मैं ने उन चारों प्राणियों के बीच में से एक शब्द यह कहते सुना, कि दीनार का सेर भर गेहूं, और दीनार का तीन सेर जव, और तेल, और दाख-रस की हानि न करना॥

7 और जब उस ने चौथी मुहर खोली, तो मैं ने चौथे प्राणी का शब्द यह कहते सुना, कि आ।

8 और मैं ने दृष्टि की, और देखो, एक पीला सा घोड़ा है; और उसके सवार का नाम मृत्यु है: और अधोलोक उसके पीछे पीछे है और उन्हें पृथ्वी की एक चौथाई पर यह अधिकार दिया गया, कि तलवार, और अकाल, और मरी, और पृथ्वी के वनपशुओं के द्वारा लोगों को मार डालें॥

9 और जब उस ने पांचवी मुहर खोली, तो मैं ने वेदी के नीचे उन के प्राणों को देखा, जो परमेश्वर के वचन के कारण, और उस गवाही के कारण जो उन्होंने दी थी, वध किए गए थे।

10 और उन्होंने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे स्वामी, हे पवित्र, और सत्य; तू कब तक न्याय न करेगा? और पृथ्वी के रहने वालों से हमारे लोहू का पलटा कब तक न लेगा?

11 और उन में से हर एक को श्वेत वस्त्र दिया गया, और उन से कहा गया, कि और थोड़ी देर तक विश्राम करो, जब तक कि तुम्हारे संगी दास, और भाई, जो तुम्हारी नाईं वध होने वाले हैं, उन की भी गिनती पूरी न हो ले॥

12 और जब उस ने छठवीं मुहर खोली, तो मैं ने देखा, कि एक बड़ा भुइंडोल हुआ; और सूर्य कम्बल की नाईं काला, और पूरा चन्द्रमा लोहू का सा हो गया।

13 और आकाश के तारे पृथ्वी पर ऐसे गिर पड़े जैसे बड़ी आन्धी से हिल कर अंजीर के पेड़ में से कच्चे फल झड़ते हैं।

14 और आकाश ऐसा सरक गया, जैसा पत्र लपेटने से सरक जाता है; और हर एक पहाड़, और टापू, अपने अपने स्थान से टल गया।

15 और पृथ्वी के राजा, और प्रधान, और सरदार, और धनवान और सामर्थी लोग, और हर एक दास, और हर एक स्वतंत्र, पहाड़ों की खोहों में, और चट्टानों में जा छिपे।

16 और पहाड़ों, और चट्टानों से कहने लगे, कि हम पर गिर पड़ो; और हमें उसके मुंह से जो सिंहासन पर बैठा है और मेम्ने के प्रकोप से छिपा लो।

17 क्योंकि उन के प्रकोप का भयानक दिन आ पहुंचा है, अब कौन ठहर सकता है?
 


 


 

 

 

 

  

 


	

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